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पर्वत राज का अर्थ

पर्वत राज अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. १ - शैल पुत्री - माँ शैल पुत्री - हम पहला दिन इन्हें समर्पित करते हैं इनकी पूजा करते हैं पर्वत राज हिमालय की पुत्री होने के कारन माँ का नाम शैल पुत्री पड़ा .
  2. देवी स्कंदमाता पर्वत राज की पुत्री होने से पार्वती कहलाती हैं , महादेव की वामिनी यानी पत्नी होने से माहेश्वरी कहलाती हैं और अपने गौर वर्ण के कारण देवी गौरी के नाम से पूजी जाती हैं।
  3. यह सुनकर हनुमान ने कहा , “ पर्वतराज ! मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि आप मेरे साथ चलने पर श्रीराम का दर्शन कर सकेंगे | ” विश्वास प्राप्त कर पर्वत राज गोवर्धन हनुमान जी के कर-कमलों पर सुशोभित होकर चल दिए |
  4. जब हनुमान जी ने धोलागिरी को उठाया था तो उनका नाम कारन ‘गिरिधर ' नहीं पड़ा क्योंकि उन्होंने पर्वत राज को छति पहुंचाई थी, पर जब श्री कृष्ण ने पर्वत उठाया तो उनका नाम ‘गिरिधर' पड़ा क्योंकि उन्होंने सर्व जन की रक्षा हेतु पर्वत को उठाया था|
  5. करना , महिषासुर - भैसे के रूप का असुर , मर्दिनी - नष्ट करने वाली , रम्य - रमणीय / सुंदर , कपर्दी - उलझे केश वाले अर्थार्त भगवान शिव , कपर्दिनि - शिव पत्नी - माँ शक्ति , शैल - पर्वत राज हिमालय , सुता - पुत्री ।
  6. शिव हो कर के ही तो तुमने इस जग का कल्याण किया अमृत के बदले में खुद ही तुमने तो विषपान किया दूज का चंद्र बिठाया माथे गंगा की जटाओं में पर्वत राज की पुत्री के संग विचरे सदा गुफ़ाओं में सचमुच हो कैलाशपति नहीं कोई चार दीवारी डमरू वाले . ..
  7. बादल पास अब आया साधु बोला तुममे गजब का जादू तुम ही तो हो सबसे महान मेरी सुता का करो कल्याण ठीक हो तुम बादल यूँ बोला सकुचा के अपना मुँह खोला मुझसे बड़ा तो पर्वत राज उसके सिर ही सजेगा ताज जब भी मैं उससे टकराऊँ खाली होकर वापिस आऊँ
  8. जब हनुमान जी ने धोलागिरी को उठाया था तो उनका नाम कारन ‘ गिरिधर ' नहीं पड़ा क्योंकि उन्होंने पर्वत राज को छति पहुंचाई थी , पर जब श्री कृष्ण ने पर्वत उठाया तो उनका नाम ‘ गिरिधर ' पड़ा क्योंकि उन्होंने सर्व जन की रक्षा हेतु पर्वत को उठाया था |
  9. विशाल , कुटुम्ब - कुल , भूरी - बहुत , कृते - करना , महिषासुर - भैसे के रूप का असुर , मर्दिनी - नष्ट करने वाली , रम्य - रमणीय / सुंदर , कपर्दी - उलझे केश वाले अर्थार्त भगवान शिव , कपर्दिनि - शिव पत्नी - माँ शक्ति , शैल - पर्वत राज हिमालय , सुता - पुत्री ।
  10. इस अत्यंत पवित्र पुण्यफलदायी ज्योतिलिंग की स्थापना के विषय में पुराणों में यह कथा दी गई है- अनंत रत्नों के जनक , अतिशय पवित्र , तपस्वियों , ऋषियों , सिद्धों , देवताओं की निवास भूमि पर्वत राज हिमालय के केदार नामक अत्यंत शोभाशाली श्रंग पर महा तपस्वी श्री नर और नारायण ने बहुत वर्षों तक भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए बड़ी कठिन तपस्या की।
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