पर्वेश का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- ' इस पृथ्वी पर ' नारायण ' नामक एक नर ( व्यिक्त ) पर्िसद्ध चोर बताया गया है , िजसका नाम और यश कानों मंे पर्वेश करते ही मनुष्यों की अनेक जन्मों की कमाई हुई समस्त पाप रािश को हर लेता है।
- वह लोग विभिन्न कठिनाईयों में लिप्त होंगे , जिनहों ने ज़्यादा अत्याचार , पाप किए होंगे , उनहें ज़ियादा कठिनाईयाँ दी जाएगी और जिन लोगों के पास नेकिया ( पुण्य ) होगी उनहें कम कष्ट दिया जाएगा परन्तु वह स्वर्ग में पर्वेश नहीं हो सकते क्योंकि उन्हों ने अल्लाह के साथ शिर्क किया था।
- ( संदभर्ः Lyons Richard D. ) ' नेशनल इन्सटीच्यूट ऑफ मेन्टल हेल्थ ' के मनोवैज्ञािनक कहते हंै िक अमेिरका के अस्पतालों मंे पाँच लाख रोगी सीजोफर्ेिनया नामक मानिसक रोग से पीिड़त हंै और अन्य सतर्ह लाख पचास हजार मानिसक पागलपन से गर्स्त लोग अस्पतालों मंे पर्वेश नहीं पा सके हंै एवं करीब छः करोड़ अमेिरिकयों का असामान्य व्यवहार कुछ अंश मंे सीजोफर्ेिनया से संबिधत है।
- भगवन् ! आप एक ही हंै , परंतु अपनी अनंत गुणमयी मायाशिक्त से इस महदािद सम्पूणर् पर्पंच को रचकर अंतयार्मीरूप से उसमंे पर्वेश कर जाते हंै और िफर इसके इिन्दर्यािद असत् गुणों मंे उनके अिधष्ठातृ-देवताओं के रूप मंे िस्थत होकर अनेक रूप भासते हंै , ठीक वैसे ही जैसे तरह-तरह की लकिड़यों मंे पर्कट हुई आग अपनी उपािधयों के अनुसार िभन्न-िभन्न रूपों मंे भासती है।
- दुगर्म व भयावह स्थान मंे पर्वेश करते वक्त क्यों िहचिकचाता नहीं ? उत्साह भंग क्यों नहीं होता ? क्यों ? केवल आनंद पाने के िलए ही न ? लौिकक और पारलौिकक िकसी भी कायर् मंे यिद एकिचत्त से संलग्न रहा जाय तो आनंद की पर्ािप्त होगी , सुख िमलेगा परंतु काम मंे सुख कब िमलता है , इस िवषय मंे अिधकतर लोगों ने अब तक सोचा ही नहीं है।
- यज्ञ मंे घी डालने पर िनकलनेवाले धुएँ से क्षय रोग ( टी . बी . ) और दमे के कीटाणु नष्ट होते हंै परंतु हमारे ऋिषयों ने केवल चेचक , क्षय रोग या दमे के कीटाणु ही नष्ट हों इतना ही नहीं सोचा वरन् यज्ञ के समय शरीर का ऊपरी िहस्सा खुला रखने का भी िवधान बताया तािक यज्ञ करते समय रोमकूप खुले हुए हों और यज्ञ का धुआँ श्वासोच्छ्वास व रोमकूप के द्वारा शरीर के अंदर पर्वेश करे।
- उच् शिछा प्राप्त हेतु भवानी सिंह ने दिल्ली के हिन्दू कालेज मैं पर्वेश लिया ! एक सैनिक अधिकारी का पुत्र होने के कारण भवानी सिंह रावत के ब्य्क्तित्वा पर पर्याप्त सैनिक प्रभाव पड़ा ! पुनः सराय रोहिला शिछां संस्थान मैं अध्ययन करते समय उनने पंडित जवाहरलाल नेहरु का देशप्रेम ब्याख्यान सुनने का अवसर मिला इससे भवानी सिंह अत्यधिक प्रभवित हुए ! धीरे धीरे उनके बिचारों मैं उगार्ता का समावेश होने लगा और उन्होंने राजनितिक पर्य्कर्मों मैं भाग लेना आरम्भ कर दिया !