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पहरू का अर्थ

पहरू अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. लेकिन शोकसभा में सिर्फ 8 लोग उपस्थित थे , जिनमें पी . सी . तिवारी , डॉ . जगदीश दुर्गापाल , पहरू के संपादक हयात रावत , उत्तराखंड लोक वाहिनी के पूरन चन्द्र तिवाड़ी , जंग बहादुर थापा व डॉ . दयाकृष्ण काण्डपाल थे।
  2. लेकिन शोकसभा में सिर्फ 8 लोग उपस्थित थे , जिनमें पी . सी . तिवारी , डॉ . जगदीश दुर्गापाल , पहरू के संपादक हयात रावत , उत्तराखंड लोक वाहिनी के पूरन चन्द्र तिवाड़ी , जंग बहादुर थापा व डॉ . दयाकृष्ण काण्डपाल थे।
  3. गढ़वाली समाचार पत्र ‘ खबरसार ' के सम्पादक विमल नेगी को वर्ष 2009 - 10 और कुमाउनी मासिक पत्रिका ‘ पहरू ' के सम्पादक हयात सिंह रावत को वर्ष 2010 - 11 का ‘ पं . आदित्य राम नवानी लोकभाषा सम्मान ' से नवाजा गया है।
  4. अस्पताल ! धो काटण रुडिक दिन!रुडिक दिन दुखान दिन रुडिक दिन पीडांण दिन !इस - कविता में कवि ने गर्मी में के दिनों में पहाडो में होने वाली पानी की दिक्कत और अन्य परेशानियों के बारे में जिक्र किया है!साभार - पहरू कुमाउनी मासिक - जून अंक पेज १६
  5. जी हाँ यही है गिरिडीह में प्रभात खबर के ब्यूरो और उनके अधिनस्त पत्रकारों का आन्दोलन जी यही है गिरिडीह में प्रभात खबर का वर्तमान स्वरुप जहाँ सिर्फ मक्खनबाजो की जमात बनकर रह गयी है जहाँ पाठको और आम लोगो की भावना की कोई कदर नहीं और ऐसे है अख़बार नहीं आन्दोलन के पहरू .
  6. इन महान कवियों के आलवा बहुत से कवि है जिनकी कविताएं आम लोगो तक नहीं पहुच पायी ! उत्तराखंड में कई पत्र पत्रिकाओं में कभी -२ इन कवियों के कविताये पड़ने को मिलती है हम इन्ही कविताओ को इन पत्र पत्रिकाओ के माध्यम से यहाँ प्रस्तुत करंगे! लेकिन सभी सदस्यों से अनुरोध है, कवि का नाम जरुर लिखियेगा! पहरू “कुमाउनी” भाषा में छपने वाली एक मासिक पत्रिका है जिस पर उत्तराखंड के कई कवियों के कविताये मिलती है!
  7. साहित्य के इस आयोजन में नैनीताल समाचार के संपादक राजीव लोचन साह , चर्चित कवि व समीक्षक महेश चन्द्र पुनेठा, डा0 दिवा भट्ट, जगमोहन रौतेला, समय साक्ष्य के संपादक दीपक पोखरियाल, पाखी के सह सम्पादक प्रेम भारद्वाज, बालप्रहरी के संपादक उदय किरौला, पहरू के संपादक हयात सिंह रावत, पत्रकार पी सी तिवारी बसंती पाठक, एच आर एल एन के मनोज पंत सुप्रिया रतूड़ी, मोहन सिंह रावत चित्रकार एम सईद, भावना कनवाल, नीरज पंत, ज्ञानप्रकाश तिवारी ,संतोषमिश्र सहित अनेक लोग उपस्थित थे।
  8. लोक संस्कृती खासकर कुमाउनी संस्कृती एवं परम्परा के प्रचार-प्रसार में आपका प्रयास सराहनीय है , उसी श्रंखला की एक कड़ी के रूप में यह पोस्ट जो हरेला ( एक कुमाउनी त्यौहार ) को बिषय वास्तु के तौर पर लेकर लिखी गईं है जानकारी से भरपूर इस पोस्ट हेतु आभार , .... जोशी जी अल्मोड़ा से “ पहरू ” के रूप में एक मासिक पत्रिका निकलती है शायद शायद आपकी जानकारी में हो ? पूर्णत : कुमाउनी बोली ( भाषा ) को समर्पित है ...... देखियेगा ....
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