पांखी का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- पांचवीं ने कहा- ‘ एक खोंखइले से उड़ी पांखी , ओका उड़त देखि मोर आंखि / वोंहि पांखी क लाग बतास , उड़ि गयो मैं कोस पचास।
- पांचवीं ने कहा- ‘ एक खोंखइले से उड़ी पांखी , ओका उड़त देखि मोर आंखि / वोंहि पांखी क लाग बतास , उड़ि गयो मैं कोस पचास।
- ( समाचार सौजन्य : महावीर उत्तरांचली , बी- 4 / 79 , पर्यटन विहार , बसुन्धरा एंक्लेव , नई दिल्ली- 110096 ) बहुप्रतीक्षित हाइकु संकलन ‘ यादों के पांखी ' प्रकाशित
- अलसाई कामनाएं चढ़ने लगीं सीढ़ियाँ टूटे अनुबंध जिन्हें ढो रही थी पीढ़ियाँ वैभव की लालसा ने ललचाया मन पांखी संज्ञा से आज सर्वनाम हुए हम यूं ही बदनाम हुए हम ! !
- अलसाई कामनाएं चढ़ने लगीं सीढ़ियाँ टूटे अनुबंध जिन्हें ढो रही थी पीढ़ियाँ वैभव की लालसा ने ललचाया मन पांखी संज्ञा से आज , सर्वनाम हुए हम यूं ही बदनाम हुए हम ।।
- प्रबंधन पर आधारित काव्य संग्रह पांखी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित चंद्रसैन प्रबलजी की पुस्तक प्रबंध चेतना अपने आप में अनूठी है , क्योंकि रचनाकार ने एक प्रबंधक के नज़रिए से कविताएं रची हैं.
- जीतेन्द्र पाण्डेय जी सरजू के तीरे तीरे होलिया मनाई हम अब तो बसे रे परदेश में का करू मनवा ई पांखी सा जो उड़ चले वेश बदल अपने ही देस में , ,
- मुख पर मलकर लाल गुलाल , प्रेमरस में भीग बेहाल, माथे पर टेसू की रोली लिए संग फूलों की टोली बसंत चला खेलने होली, फूल-पत्तों के बंधन वार, सजाया प्रकृति ने है द्वार, सरसों का बिछा कालीन, संगीत-गोष्ठी जमी सब लीन, कवि पांखी
- “ रोशनी महकती है ” को पांखी प्रकाशन , छतरपुर एंक्लेव फेज़- 1 , दिल्ली- 110074 ने प्रकाशित किया है , इस किताब की प्राप्ति के लिए आप +919999428213 पर फोन से या फिर [email protected] पर मेल से संपर्क कर मंगवा सकते हैं।
- मुख पर मलकर लाल गुलाल , प्रेमरस में भीग बेहाल, माथे पर टेसू की रोली लिए संग फूलों की टोली बसंत चला खेलने होली, फूल-पत्तों के बंधन वार, सजाया प्रकृति ने है द्वार, सरसों का बिछा कालीन, संगीत-गोष्ठी जमी सब लीन, कवि पांखी की चिरपिर बोली…बसंत चला… कोकिल मैना पपीहा आये, भ्रमर करें गुंजार, गुंजायें,