पारस मणि का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- जिसके पास ( भक्ति रूपी ) पारस मणि हैं वह दरिद्र कैसे हो सकता है, दूसरों से द्रोह करने वाला कभी निश्चिन्त नहीं हो सकता, और काम-लोलुप कभी अकलंकित नहीं रह सकता क्योंकि उसकी कामुकता कभी न कभी उसे कलंकित कर ही देती है -
- इसके पास कोई अपनी कुछ कामना लेकर जाता है तो उसकी इच्छा तुरन्त पूरी हो जाती है , इसलिए इसे भूलोक की कामधेनु भी कहते हैं इसे पारस मणि भी कहते हैं क्योंकि लोहे जैसे कलुषित अन्तःकरण भी सोने जैसे शुद्ध हो जाते हैं ।।
- हर वर्ष यह मूल्यवान दिन , मुसलमानों के लिए जो स्वर्णिम अवसर उपलब्ध कराते हैं वह चमत्कारी पारस मणि से कम नहीं जिसके महत्व को यदि समझ लिया जाए और यथोचित उसका प्रयोग किया जाए तो इस्लामी जगत की बहुत सी समस्याओं और कमज़ोरियों का इलाज हो जाएगा।
- हाल ही में बच्चों के लिए प्रकाशित राजस्थानी पत्रिका पारस मणि के कवर पेज पर मुझे जगह मिली है | इस पत्रिका में राजस्थानी भाषा में बच्चों के लिए कवितायेँ और कहानियां शामिल हैं | मुझे अच्छा लगा हम बच्चों के लिए प्रकाशित इस पत्रिका के कवर पर जगह पाकर |
- पार्श्व शब्द में तीन अक्षर बढे , राहू हर एक अक्षर के घटाये , पा धट जाये तो रस रहे शेष , जो र धट जाये तो पास वो आये ! स धट जाये , तो पार मिले , मिले पार तो जन्मो का दुःख जाये , तीनो अक्षर याद जो रखे , उसे पारस मणि स्वर्ण बनाये !!
- रत्नों में ही पाँच मुख्य महारत्न तथा पाँच मुख्य मणियाँ होती हैं , जो निम्न प्रकार हैं- पाँच मुख्य महारत्न - हीरा मोती माणिक्य पन्ना नीलम पाँच मुख्य रत्न - पुखराज वैदूर्य गोमेद मूँगा अर्थात प्रवाल फरोजा मुख्य मणियाँ मुख्य मणियाँ- वैसे मणियाँ तो असंख्य हैं, परन्तु मुख्यतः 9 मणियों की मान्यता अधिक है, जो निम्न हैं- घृतमणि तैलमणि भीष्मक मणि उपलक मणि स्फटिक मणि पारस मणि उलूक मणि लाजावर्त मणि मासर मणि मणियाँ भी रत्नों की ही तरह ग्रहों के कारण उत्पन्न अनिष्ट को शांत करती हैं तथा मनोकामनाओं को पूर्ण करने में समर्थ होती हैं।
- रत्नों में ही पाँच मुख्य महारत्न तथा पाँच मुख्य मणियाँ होती हैं , जो निम्न प्रकार हैं- पाँच मुख्य महारत्न - हीरा मोती माणिक्य पन्ना नीलम पाँच मुख्य रत्न - पुखराज वैदूर्य गोमेद मूँगा अर्थात प्रवाल फरोजा मुख्य मणियाँ मुख्य मणियाँ- वैसे मणियाँ तो असंख्य हैं , परन्तु मुख्यतः 9 मणियों की मान्यता अधिक है , जो निम्न हैं- घृतमणि तैलमणि भीष्मक मणि उपलक मणि स्फटिक मणि पारस मणि उलूक मणि लाजावर्त मणि मासर मणि मणियाँ भी रत्नों की ही तरह ग्रहों के कारण उत्पन्न अनिष्ट को शांत करती हैं तथा मनोकामनाओं को पूर्ण करने में समर्थ होती हैं।