पितृयज्ञ का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- वेदों में पितृयज्ञ का वर्णन आया है , जो पितृ श्राद्ध का ही पर्याय है।
- पितरो को प्रसन्न करने के लिए किए जाने वाले श्राध्द को पितृयज्ञ कहा गया है।
- पितृयज्ञ या श्राद्धकर्म के लिए अश्विन माह का कृष्ण पक्ष ही नियुक्त किया गया है।
- पितृयज्ञ - मृत पितरों की संतुष्टि व तृप्ति के लिये अन्न-जल समर्पित करना पितृयज्ञ कहलाता है।
- पितृयज्ञ - मृत पितरों की संतुष्टि व तृप्ति के लिये अन्न-जल समर्पित करना पितृयज्ञ कहलाता है।
- पंचयज्ञ के सिद्धान्तों में “ देवयज्ञ ” सर्वप्रथम है , “ पितृयज्ञ ” द्वितीय है ।
- ( 3.16 ) के अनुसार पितृयज्ञ की व्यवस्थानुरुप तीन दिनों तक एक- एक पिण्ड दिया जाना चाहिए।
- मनु [ 285 ] ने पितृयज्ञ को तर्पण ( जल से पूर्वजों की संतुष्टि ) करना कहा है।
- वैदिक धर्म के पंचमहायज्ञ- ब्रह्मयज्ञ , देवयज्ञ, पितृयज्ञ, अतिथि यज्ञ और बलिवैश्वदेवयज्ञ घर पर ही करने होते हैं ।
- ये भूतयज्ञ , मनुष्य यज्ञ , पितृयज्ञ , देवयज्ञ व ब्रह्मयज्ञ के रूप में जाने जाते हैं .