पित्तपापड़ा का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- 9 . पित्तपापड़ा : पित्त पापड़ा के पंचांग ( जड़ , तना , पत्ती , फल और फूल ) का काढ़ा प्रतिदिन सुबह-शाम 25 से 50 मिलीलीटर की मात्रा में पीने से खून के विकार दूर होते हैं।
- 9 . पित्तपापड़ा : पित्त पापड़ा के पंचांग ( जड़ , तना , पत्ती , फल और फूल ) का काढ़ा प्रतिदिन सुबह-शाम 25 से 50 मिलीलीटर की मात्रा में पीने से खून के विकार दूर होते हैं।
- चन्दन , धनिया , सौंफ , गुरिज , पित्तपापड़ा 10 - 10 ग्राम लेकर कूट लें और लगभग 2 किलो पानी में पकायें जब 250 ग्राम शेष रह जाये तब उतारकर 50 ग्राम मिश्री मिलाकर पीने से रक्तपित्त दूर हो जाता है।
- चन्दन , धनिया , सौंफ , गुरिज , पित्तपापड़ा 10 - 10 ग्राम लेकर कूट लें और लगभग 2 किलो पानी में पकायें जब 250 ग्राम शेष रह जाये तब उतारकर 50 ग्राम मिश्री मिलाकर पीने से रक्तपित्त दूर हो जाता है।
- नीम , आंवला , त्रिकुटा ( सोंठ , कालीमिर्च , छोटी पीपल ) , पटोलपत्र , पित्तपापड़ा , सफेद चंदन , लाल चंदन , अडूसा तथा धमासा को एक साथ मिलाकर काढ़ा बना लें और इसे ठंड़ा करके इसमें मिश्री और शहद मिलाकर पीने से पित्तज-मसूरिका ( माता के दानों की वजह से गर्मी ) के रोग में लाभ होता है।
- नीम , आंवला , त्रिकुटा ( सोंठ , कालीमिर्च , छोटी पीपल ) , पटोलपत्र , पित्तपापड़ा , सफेद चंदन , लाल चंदन , अडूसा तथा धमासा को एक साथ मिलाकर काढ़ा बना लें और इसे ठंड़ा करके इसमें मिश्री और शहद मिलाकर पीने से पित्तज-मसूरिका ( माता के दानों की वजह से गर्मी ) के रोग में लाभ होता है।