पूज्यता का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- संन्यास का अर्थ है-जिनके प्रति यह अपेक्षा हो कि इनमें पवित्रता है , पूज्यता है , दिव्यता है।
- संन्यास का अर्थ है-जिनके प्रति यह अपेक्षा हो कि इनमें पवित्रता है , पूज्यता है , दिव्यता है।
- पूज्यता । बेहद सम्मान आदि प्राप्तियाँ ) वैश्य ( मेहनत अनुसार अर्जित संपत्ति और तदनुसार शक्ति आदि ) ..
- ब्राह्मण की ‘ पूज्यता ' और सर्वोच्चता दैनंदिन जीवन की निरंतर सचाई कम , कर्मकांड के क्षण-विशेष की सचाई अधिक थी।
- एक तो यह कि ऋषभ देव की मान्यता और पूज्यता के संबंध में जैन और हिन्दुओं के बीच कोई मतभेद नहीं है।
- यह और बात है कि पूज्यता के प्रति कबीर की अरुचि के बावजूद कबीर के समाज ने उन्हें पूजा और खूब पूजा।
- ज्ञान का अर्थ यह भी नहीं है जिसमें निरंतर पूज्यता का बोध रहे कि अब मैं बड़ा हो गया और ये छोटे हैं।
- ब्राह्मणों के ये जितने दल हो गए हैं सभी अपनी ही अपनी उत्तमता और पूज्यता की डींग हाँकते और अन्यों को नीच ठहराते हैं।
- भी शत्रुभाव का न होना एवं अपने में पूज्यता के अभिमान का अभाव - ये सभी दैवी संपदा को लेकर उत्पन्न हुए पुरुष के लक्षण हैं।
- वे जानते हैं कि जन्मजात पूज्यता और अपूज्यता को सिरे से खारिज़ किए बिना न वास्तविक नैतिकता की प्रतिष्ठा संभव है , न उत्तरदायी व्यक्तित्व की।