पूष का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- अगर रविवार को विशाखा , सोमवार को पूर्ववैशादा, मंगलवार को धनिष्टा, बुधवार को रेवाति, गुरूवार को रोहिणी, शुक्रवार को पूष तथा शनिवार को उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र हो तो अटपटा योग बनता है.
- अगहन पूष माह में इसका सेवन विशेष लाभकारी है अन्य उपयोग- कफ वात शामक तथा वेदना संशामक होने के कारण यह वात नाड़ी संस्थान के रोगों में भी प्रयुक्त होता है ।
- जिस तरह हम दिवाली के बाद गोवर्धन पूजा करते हैं उसी तरह बस्तर अंचल में पूष एवं माघ के महीने में कृषि कार्य से निवृत्त होने पर स्थानीय निवासी प्रत्यके ग्राम समूह में दियारी तिहार का उत्सव मनाते हैं।
- पूष की ठिठुरन होती , या जेठ की अंगार तपन , श्रावण का सत्कार होता , या होता पतझड़ का रुदन , सब कुछ होता जाना पहचाना , इस धुंध में भटककर नहीं खोता . काश ! मैं पाषाण होता .
- त्र हो , बुधवार के साथ अस्वनी, भरणी, मूल, धनिष्ठा अथवा रेवति नक्षत्र हो, गुरुवार के साथ उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र हो, शुक्रवार के साथ रोहिणी, पूष, अस्लेशा, मेघ, विशाखा, ज्येष्ठ तथा शनिवार के साथ रेवति नक्षत्र हो तो नाश योग बनता है.
- बहुत सुन्दर आलेख है , यह त्यौहार पिथौरागढ़ और बागेश्वर जनपद में कल रात यानी मसान्ति के दिन ही मना लिया जाता है…इस क्षेत्र में कल रात ही घुघुत बन गये और आज सुबह कौव्वों को खिला दिये गये “काले कौव्वा का-का, पूष की रोटी माघे खा” कहकर।
- शीत पूष में , नभ में थे बादल घिर आते , चलती तीक्ष्ण हवा थी , व्यर्थ पवन बहाते बर्फ़ीले तूफ़ान , हिमालय के उर से थे ! जम जाती थी बर्फ़ टोपियों पर , पाँवों के तलुवे के निशाँ पर , हिम की कुटी बनाते फिरते रहते थे बाहर ही गाते-गाते !
- सोमवार और 7वीं , 6वीं, 11वीं तिथि कृतिका, भरणी मेघ, अनुराधा, पूर्ववैशादा, उत्तरशादा अथवा उत्तर भाद्रपद नक्षत्र के साथ सम्बन्ध बना रही हो, मंगलवार और पहली, दुसरी, 7वीं, 8वीं अथवा 10वीं तिथि अद्रा, पुनर्वासु, पूर्ववैशादा, उत्तरशादा, श्रवण, धनिष्ठा, स्थाविशक अथवा ज्येष्ठ नक्षत्र के साथ सम्बन्ध बना रही हो, बुधवार और दुसरी, तीसरी, आठवीं अथवा नौवीं तिथि अस्वनी, भरणी, पूष, अस्लेशा, मेघ, मूल, धनिष्ठा अथवा पूर्वभाद्रपद के साथ सम्बन्ध बना रही हो.
- गुरूवार और 6वीं , 8वीं, 9वीं,12वीं अथवा 13वीं तिथि कृ्तिका, रोहिणी मृगसिरा, अद्रा, उत्तरफाल्गुनी, अनुराधा, विशाखा अथवा स्थाविशक से सम्पर्क बना रही हो, शुक्रवार और दूसरी, तीसरी, 6वीं, 8वीं, 10वीं अथवा 11वीं तिथि रोहिणी, पुनर्वासु, मेघ, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठ, श्रवण अथवा धनिष्ठा नक्षत्र के साथ सम्बन्ध बना रही हो, शनिवार और तीसरी, 7वीं, 9वीं अथवा 11वीं तिथि भरणी, पुनर्वासु, पूष, पूर्व फाल्गुनी, उत्तर फाल्गुनी, हस्त, पूर्ववैशादा, श्रवण अथवा उत्तरशादा नक्षत्र हो तो विनाश योग बनता है.
- अगर रविवार के दिन अस्वनी , पूष, हस्त, उत्तरा फाल्गुनी, मूल, उत्तरशादा अथवा उत्तर भाद्रपद नक्षत्र हो, सोमवार के दिन रोहिणी, मृ्गशिरा, पूष, अनुराधा अथवा श्रवण नक्षत्र हो, मंगलवार के दिन अस्वनी, कृतिका, अस्लेशा अथवा रेवति नक्षत्र हो, बुधवार के दिन कृतिका, रोहिणी, मृगसिरा, अनुराधा नक्षत्र हो, गुरुवार के दिन अस्वनी, पुनरवासु, पूष, अनुराधा अथवा रेवती नक्षत्र हो, शुक्रवार के दिन अस्वनी, पुनरवासु , अनुराधा, श्रवण, अथवा रेवति तथा शनिवार के दिन रोहिणी, स्वाति अथवा श्रवण नक्षत्र हो तो सर्वत सिद्धि योग बनता है.