प्रतिपत्ति का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- जो अभिधेय है , जो अर्थ वाक् में है ही , उसकी प्रतिपत्ति की प्रार्थना कवि नहीं करता ! अभिधेयार्थयुक्त शब्द तो वह मिट्टी , वह कच्चा माल है जिससे वह रचना करता है ;
- कविता के सामान्य पाठकों से लेकर विदग्ध आलोचकों तक को ' वाक् ' और ' अर्थ ' को मिलाकर जिस वस्तु की प्रतिपत्ति होती है उसकी प्रक्रिया का सम्बन्ध इतिहास और समय से अवश्य होता है।
- यद्यपि विवर्तवाद या मायावाद के मत से आद्य सिंसृक्षा काल मे ही अक्रम सृष्टि का प्रादुर्भाव सम्भव है , तथा कणादमत के अनुयायी इच्छामात्र प्रभोसृष्टि : यह कहकर्क्रम सृष्टि का समर्थन करते है , तथापि प्रसिद्ध लोकक्रम से सिद्ध सामान्य विशेष भाव को लेकर स्पष्ट प्रतिपत्ति के लिये त्रिकोणादि क्रम दिखलाना आचार्यों को अभीष्ट है।
- इसका तात्पर्य यह है कि उस प्राचीनकाल में सम्यक और मिथ्या मानकर तो ज्ञान का कथन किया जाता था , किन्तु प्रमाण और प्रमाणाभास मानकर नहीं , पर एक वर्ग के ज्ञानों को सम्यक और दूसरे वर्ग के ज्ञानों को मिथ्या प्रतिपादन करने से अवगत होता है कि जो ज्ञान सम्यक कहे गये हैं वे सम्यक परिच्छित्ति कराने से प्रमाण तथा जिन्हें मिथ्या बताया गया है वे मिथ्या प्रतिपत्ति कराने से अप्रमाण ( प्रमाणाभास ) इष्ट है।