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प्रमातामह का अर्थ

प्रमातामह अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. पितृपूजन में दिवंगत पिता , पितामह , प्रपितामह , माता , मातामह , प्रमातामह , मातामह ( नाना ) , प्रमातामह , वृद्धमातामह , मातामही ( नानी ) एवं इससे जुड़े पूरे परिवार से संबंधित दिवंगत कोई भी सदस्य यथा बहन , काका , मामा , बुआ , मौसी , ससुर आदि का भी महत्व रहता है।
  2. यमलोक या स्वर्गलोक में रहने वाले पितरों को भी तब तक भूख प्यास अधिक होती है , जब तक कि वे माता पिता से तीन पीढ़ी के अन्तर्गत रहते हैं - जब तक वे श्राद्धकर्ता पुरुष के - मातामह, प्रमातामह या वृद्धप्रमातामह एवं पिता, पितामह या प्रपितामाह पद पर रहते हैं तबतक श्राद्धभाग ग्रहण करने के लिए उनमें भूख-प्यास की अधिकता रहती है।
  3. पितृ-पक्ष के दिनों में अपने स्वर्गीय पिता , पितामह , प्रपितामह तथा वृद्ध प्रपितामह और स्वर्गीय माता , मातामह , प्रमातामह एवं वृद्ध-प्रमातामह के नाम-गोत्र का उच्चारण करते हुए अपने हाथों की अञ्जुली से जल प्रदान करना चाहिए ( यदि किसी कारण-वश किसी पीढ़ी के पितर का नाम ज्ञात न हो सके , तो भावना से स्मरण कर जल देना चाहिए ) ।
  4. पितृ-पक्ष के दिनों में अपने स्वर्गीय पिता , पितामह , प्रपितामह तथा वृद्ध प्रपितामह और स्वर्गीय माता , मातामह , प्रमातामह एवं वृद्ध-प्रमातामह के नाम-गोत्र का उच्चारण करते हुए अपने हाथों की अञ्जुली से जल प्रदान करना चाहिए ( यदि किसी कारण-वश किसी पीढ़ी के पितर का नाम ज्ञात न हो सके , तो भावना से स्मरण कर जल देना चाहिए ) ।
  5. यमलोक या स् वर्गलोक में रहने वाले पितरों को भी तब तक भूख प् यास अधिक होती है , जब तक कि वे माता पिता से तीन पीढ़ी के अन् तर्गत रहते हैं - जब तक वे श्राद्धकर्ता पुरुष के - मातामह , प्रमातामह या वृद्धप्रमातामह एवं पिता , पितामह या प्रपितामाह पद पर रहते हैं तबतक श्राद्धभाग ग्रहण करने के लिए उनमें भूख-प् यास की अधिकता रहती है।
  6. यमलोक या स् वर्गलोक में रहने वाले पितरों को भी तब तक भूख प् यास अधिक होती है , जब तक कि वे माता पिता से तीन पीढ़ी के अन् तर्गत रहते हैं - जब तक वे श्राद्धकर्ता पुरुष के - मातामह , प्रमातामह या वृद्धप्रमातामह एवं पिता , पितामह या प्रपितामाह पद पर रहते हैं तबतक श्राद्धभाग ग्रहण करने के लिए उनमें भूख-प् यास की अधिकता रहती है।
  7. भारतेन्दु इन दोनों पुस्तकों से परिचित थे . ‘ बादशाहदर्पण ‘ ( 1884 ) की भूमिका में वह लिखते हैं- ‘‘ मेरे प्रमातामह राय गिरधरलाल साहब , जो यवनी विद्या के बडे भारी पंडित और काशीस्थ दिल्ली के शहज़ादों के मुख्य दीवान थे , उन की इच्छा से दिल्ली के प्रसिद्ध विद्वान सैय्यद अहमद ने एक ऐसा चक्र बनाया था जिसमें तैमूर से लेकर शाहआलम तक सब बादशाहों के नाम आदि लिखे थे .
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