फिरंग रोग का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- प्रथम और द्वितीय कारणों से होने वाले फिरंग रोग को स्वकृतजन्य और तीसरे कारण से होने वाले फिरंग रोग को सहज या जन्मजात कहते हैं।
- प्रथम और द्वितीय कारणों से होने वाले फिरंग रोग को स्वकृतजन्य और तीसरे कारण से होने वाले फिरंग रोग को सहज या जन्मजात कहते हैं।
- प्रथम और द्वितीय कारणों से होने वाले फिरंग रोग को स्वकृतजन्य और तीसरे कारण से होने वाले फिरंग रोग को सहज या जन्मजात कहते हैं।
- पहला कारण : 90-95 प्रतिशत मामलों में फिरंग रोग होने का कारण रोगग्रस्त व्यक्ति के साथ सहवास करना ही पाया जाता है, इसीलिए इसे मुख्यतः मैथुनजन्य रोग माना जाता है।
- सावजी ' फिरंग रोग ' का अर्थ नहीं जानते थे , परन्तु सन्देह करते थे कि यह रोग कैसा होता है और यह समझते थे कि है वह बहुत ही घृणित।
- सावजी ' फिरंग रोग ' का अर्थ नहीं जानते थे , परन्तु सन्देह करते थे कि यह रोग कैसा होता है और यह समझते थे कि है वह बहुत ही घृणित।
- पहला कारण : 90 - 95 प्रतिशत मामलों में फिरंग रोग होने का कारण रोगग्रस्त व्यक्ति के साथ सहवास करना ही पाया जाता है , इसीलिए इसे मुख्यतः मैथुनजन्य रोग माना जाता है।
- एक विशेष प्रकार का उपदंश जो फिरंग देश में बहुत अधिक प्रचलित था और जब भारतवर्ष में वे लोग आए तो उनके संपर्क से यहाँ भी गंध के समान वह फैलने लगा तो उस समय के वैद्यों ने , जिनमें भाव मिश्र प्रधान हैं, उसका नाम 'फिरंग रोग' रखा दिया।
- दूषित विष के उपद्रव स्वरूप उत्पन्न होने वाले कुष्ठ , पाचन विकार से या फिरंग रोग से उत्पन्न होने वाले कुष्ठ के अलावा भंगदर, श्लीपद, वातरक्त, नाड़ी व्रण, प्रमेह, रक्त विकार, सिर दर्द, मेदवृद्धि (मोटापा) आदि अनेक ऐसी व्याधियों को यह वटी ठीक करने में सफल सिद्ध हुई है, जिनके नाम भी आम व्यक्ति ने सुने न होंगे।
- दूषित विष के उपद्रव स्वरूप उत्पन्न होने वाले कुष्ठ , पाचन विकार से या फिरंग रोग से उत्पन्न होने वाले कुष्ठ के अलावा भंगदर, श्लीपद, वातरक्त, नाड़ी व्रण, प्रमेह, रक्त विकार, सिर दर्द, मेदवृद्धि (मोटापा) आदि अनेक ऐसी व्याधियों को यह वटी ठीक करने में सफल सिद्ध हुई है, जिनके नाम भी आम व्यक्ति ने सुने न होंगे।