फिरोज़ गाँधी का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- महाद्वीप यूरोप और ब्रिटेन में रहते समय उनकी मुलाक़ात एक पारसी कांग्रेस कार्यकर्ता , फिरोज़ गाँधी से हुई और अंततः १६ मार्च १९४२ को आनंद भवन इलाहाबाद में एक निजी आदि धर्मं ब्रह्म -वैदिक समारोह में उनसे विवाह किया[3] ठीकभारत छोडो आन्दोलन की शुरुआत से पहले जब महात्मा गांधी और कांग्रेस पार्टी द्वारा चरम एवं पुरजोर राष्ट्रीय विद्रोह शुरू की गई।
- महाद्वीप यूरोप और ब्रिटेन में रहते समय उनकी मुलाक़ात एक पारसी कांग्रेस कार्यकर्ता , फिरोज़ गाँधी से हुई और अंततः १६ मार्च १९४२ को आनंद भवन इलाहाबाद में एक निजी आदि धर्मं ब्रह्म -वैदिक समारोह में उनसे विवाह किया[3] ठीकभारत छोडो आन्दोलन की शुरुआत से पहले जब महात्मा गांधी और कांग्रेस पार्टी द्वारा चरम एवं पुरजोर राष्ट्रीय विद्रोह शुरू की गई।
- महाद्वीप यूरोप और ब्रिटेन में रहते समय उनकी मुलाक़ात एक पारसी कांग्रेस कार्यकर्ता , फिरोज़ गाँधी से हुई और अंततः १ ६ मार्च १ ९ ४ २ को आनंद भवन इलाहाबाद में एक निजी आदि धर्मं ब्रह्म-वैदिक समारोह में उनसे विवाह किया [ 3 ] ठीक भारत छोडो आन्दोलन की शुरुआत से पहले जब महात्मा गांधी और कांग्रेस पार्टी द्वारा चरम एवं पुरजोर राष्ट्रीय विद्रोह शुरू की गई।
- महाद्वीप यूरोप और ब्रिटेन में रहते समय उनकी मुलाक़ात एक पारसी कांग्रेस कार्यकर्ता , फिरोज़ गाँधी से हुई और अंततः १ ६ मार्च १ ९ ४ २ को आनंद भवन इलाहाबाद में एक निजी आदि धर्मं ब्रह्म-वैदिक समारोह में उनसे विवाह किया [ 3 ] ठीक भारत छोडो आन्दोलन की शुरुआत से पहले जब महात्मा गांधी और कांग्रेस पार्टी द्वारा चरम एवं पुरजोर राष्ट्रीय विद्रोह शुरू की गई।
- जहाँ गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने ही इन्हे “ प्रियदर्शिनी ” नाम दिया . महाद्वीप यूरोप और ब्रिटेन में रहते समय उनकी मुलाक़ात एक पारसी कांग्रेस कार्यकर्ता , फिरोज़ गाँधी से हुई जिनसे 16 मार्च 1942 को आनंद भवन इलाहाबाद में एक सादे समारोह में उनका विवाह हुआ और इसके ठीक बाद वे भारत छोड़ो आन्दोलन से जुडीं और कांग्रेस पार्टी द्वारा पुरजोर राष्ट्रीय विद्रोह की शुरुआत की गयी।
- जहाँ गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने ही इन्हे “ प्रियदर्शिनी ” नाम दिया . महाद्वीप यूरोप और ब्रिटेन में रहते समय उनकी मुलाक़ात एक पारसी कांग्रेस कार्यकर्ता , फिरोज़ गाँधी से हुई जिनसे 16 मार्च 1942 को आनंद भवन इलाहाबाद में एक सादे समारोह में उनका विवाह हुआ और इसके ठीक बाद वे भारत छोड़ो आन्दोलन से जुडीं और कांग्रेस पार्टी द्वारा पुरजोर राष्ट्रीय विद्रोह की शुरुआत की गयी।
- जैसा हम बोयंगे वैसा ही काटेंगे . वरुण फिरोज़ गाँधी कुछ भी ग़लत नहीं कर रहे हैं .धूमकेतु की तरह राजनीती पे बरपा होना ही आज का चलन है.राज और बाल ठाकरो ने यही सिखाया है .आदमी आग खायेगा तो अंगारे ही हगे गा .हटे स्प्पीचेस हित हो रही हैं इसलिए उन का चलन है.राजनीती मैं आदर्श रोपने होंगे तभी वरुण मीठा बोलें गे .पहले तौलें गे फिर बोलें गे .