बनिज का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- इसी का एक और पद है : खेती न किसान को बनिक को बनिज नहिं भिखारी को न भीख बलि चाकर को न चाकरी सीद्यमान सोच बस कहै एक एकन सो कहॉ जाइ का करी . यह सच है अकबर के शासन का .
- कहे कबीर कछू बनिज न कीयौ , आयौ थौ इहि हाटि ' ( ग्रंथावली , राग केदारी , १ ४ ) जो अपने मन को , लाभ के लोभ में मूल ही न गवां बैठाने की चेतावनी भी सावधान व्यापारी के लहजे में ही देता है- “ मन बंजारा जागी न सोई | लाहे कारनि मूल न खोई ” ( ग्रंथावली , राग बिलाबल , ६ ) “ ( पृष्ठ- १ ४४ ) कविता के रूपकों और प्रतीकों को अगर इस तरीके से पढ़ा जाए तो फिर निम्न पद का क्या मतलब निकलेगा -