बिहिश्त का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- परमतत्त्वम् खुदा या गॉड या लार्ड या यहोवा या भगवान् ही ब्रम्हाण्ड तथा पिण्ड दोनों का प्रधान संचालक हैं , जो परमधाम या बिहिश्त या पैराडाइज में ' सदानन्द ' रूप सच्चिदानन्द ( ETERNAL BLISS ) मय रहता हुआ सभी का संचालन करता-कराता रहता है ।
- पूछा “क्या इसका कबाब होगा ऎसा भी लजीज ? जितनी भाजियां दुनिया में इसके सामने नाचीज?” गोली बोली-“जैसी खुशबू इसका वैसा ही स्वाद, खाते खाते हर एक को आ जाती है बिहिश्त की याद सच समझ लो, इसका कलिया तेल का भूना कबाब, भाजियों में वैसा जैसा आदमियों मे नव्वाब”
- पूछा “क्या इसका कबाब होगा ऎसा भी लजीज ? जितनी भाजियां दुनिया में इसके सामने नाचीज?” गोली बोली-”जैसी खुशबू इसका वैसा ही स्वाद, खाते खाते हर एक को आ जाती है बिहिश्त की याद सच समझ लो, इसका कलिया तेल का भूना कबाब, भाजियों में वैसा जैसा आदमियों मे नव्वाब”
- हुजूर ! तबसे मुझे ऐसा हुआ कि मरने के बाद मैं बिहिश्त में जाऊँगा कि दोजख में यह मुझे पता नहीं , इसले तुलसी की माला तो पहन लूँ ताकि कम से कम आपके भगवान नारायण के धाम में जाने का तो मौका मिल ही जायेगा और तभी से मैं तुलसी की माला पहनने लगा।
- पूछा “ क्या इसका कबाब होगा ऎसा भी लजीज ? जितनी भाजियां दुनिया में इसके सामने नाचीज ? ” गोली बोली- ” जैसी खुशबू इसका वैसा ही स्वाद , खाते खाते हर एक को आ जाती है बिहिश्त की याद सच समझ लो , इसका कलिया तेल का भूना कबाब , भाजियों में वैसा जैसा आदमियों मे नव्वाब ”
- ” मेरा उद्देश्य आप समस्त सत्यान्वेषी भगवद् जिज्ञासुजन को दोष रहित , सत्य प्रधान , उन्मुक्तता और अमरता से युक्त सर्वोत्तम जीवन विधान से जोड़ते - गुजारते हुये लोक एवं परलोक दोनो जीवन को भरा - पूरा सन्तोषप्रद खुशहाल बनाना और बनाये रखते हुये धर्म - धर्मात्मा - धरती रक्षार्थ जिसके लिये साक्षात् परमप्रभु - परमेश्वर - खुदा - गॉड - भगवान अपना परमधाम ( बिहिश्त - पैराडाइज ) छोड़कर भू - मण्डल पर आते हैं , आये भी हैं , में लगना - लगाना - लगाये रखना है ।
- तख़्त यानि सिंहासन पर साकार बैठेगा कि निराकार ? लाइन में पंक्तिबद्ध साकार के सामने होंगे कि निराकार के सामने होंगे ? राज्य साकार करेगा कि निराकार करेगा ? दोस्त निराकार रखेगा कि साकार रखेगा ? सातवें आसमान पर बिहिश्त का बाग साकार का होगा कि निराकार का होगा ? नहरें , रूहें - ये सब साकार के होंगे कि निराकार के ? मौलवी साहब लोगों से पूछा जाए कि ये सब बातें क़ुरान शरीफ़ की हैं या नहीं ? अल्लाहताला अपने पास बैठाता है - एक पंक्ति में बैठाता है।
- जन्नत के लिये लफ़्ज़े सब्क़तो ( बढ़ना ) फ़रमाई है और और जहन्नम के लिये यह लफ़्ज़ इस्तेमाल नहीं की क्यों कि सबक़त उस चीज़ की तरफ़ की जाती है जो मतलूबो मर्ग़ूब हो और यह बिहिश्त की ही शान है और दोज़ख में मत्लूबियत व मर्ग़ूबियत कहां कि उस की तलाशो जुस्तुजू में बढ़ा जाय ( नऊज़ो बिल्लाहे मिन्हा ) चूंकि अस्सबक़तुन्नारो कहना सहीहो दुरुस्त नहीं हो सकता था इसी लिये वल ग़ायतुन्नारो फ़रमाया और ग़ायत सिर्फ़ मन्ज़िले मुन्तहा को कहते हैं उस तक पहुंचने वाले को ख़्वाह रंजो कोफ्त हो या शादमानी व मसर्रत।
- ब्रह्मा विष्णु और महेश के उल्लेख “ प्रसंग वश ' “ अल्लिफ एक अल्लाह बड़ मोइ ' केवल एक स्थान पर अल्लाह का नामोल्लेख , कुरान के लिए कुरान और पुराण के नामोल्लेख , स्वर्ग या बिहिश्त के लिए सर्वत्र कैलाश या कविलास के प्रयोग अहं ब्राह्मास्मि या अनलहक के लिए सांह का प्रयोग , इब्लीस या शैतान के स्थान पर “ नारद ' का उल्लेख योग साधना के विविध वर्णन प्रभृति बातें इस बात की ओर इंगित करती है कि जायसी हिंदू- मुस्लिम भावनाओं में एकत्व को दृष्टि में रखते हुए समन्वय एवं सामंजस्य का प्रयत्न करते हैं।