बैराग्य का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- गीता-श्लोक 3 . 37 को ठीक-ठीक समझना ही बैराग्य की ओर खीचनें लगता है ।
- लोक-परलोकके यावत् सुख और भोगोंके प्रति पूर्ण विरिक्ति बिना बैराग्य दृढ़ नहीं होता।
- मोह , अनुराग त्यागना बैराग्य है सरल शब्दों में यही है बस .
- ऐसा अनुभव होनेसे विवेकमें दृढ़ता होती है , दृढ़ विवेकसे बैराग्य उत्पन्न होता है।
- इस मंत्र का जप बहुधा साधक में प्रबल बैराग्य भाव उत्पन्न कर देता है।
- ऐसा अनुभव होनेसे विवेकमें दृढ़ता होती है , दृढ़ विवेकसे बैराग्य उत्पन्न होता है।
- मोह के साथ बैराग्य नहीं मिल सकता इस सन्दर्भ में आप श्लोक ६ .
- अवध को बैराग्य , काशी को ज्ञानधाम एवं जनकपुरी को भक्तिधाम कहा गया है।
- 52 ] .... भय - मोह बैराग्य - संन्यास से दूर रखता है ।
- इस मंत्र का जप बहुधा साधक में प्रबल बैराग्य भाव उत्पन्न कर देता है।