भारंगी का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- जडी बूटियों का जादू भारंगी का डंडा लेकर चलने से नहीं होता अस्थमा ! रमेश प्रताप सिंह इसको ब्रम्हा दंड कहा जाता था.
- हजारों साल से हर ग्रीष्मकाल में ऐसी ही रिक्तता देखने को मिलती होगी और हर वर्षाकाल में भारंगी सारी घाटी को जलमग्न कर देती होगी।
- खांसी एवं श्वसन संस्थान के अन्य रोगों में काकड़ासिंगी , भारंगी , सोंठ , छोटी पीपल , कचूर और मुनक्का समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें।
- खांसी एवं श्वसन संस्थान के अन्य रोगों में काकड़ासिंगी , भारंगी , सोंठ , छोटी पीपल , कचूर और मुनक्का समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें।
- इसका नुस्खा इस प्रकार है- अडूसा , सोंठ, नागरमोथा, भारंगी, चिरायता और नीम की छाल- इनको 5-5 ग्राम मात्रा में लेकर 2 कप पानी में डालकर काढ़ा करें।
- संग्रह तथा संरक्षण- शीत ऋतु में भारंगी की जड़ का संग्रह कर छाया में सुखा लेते हैं तथा सूखे मुखबंद पात्रों में सुरक्षित कर लेते हैं ।
- इसके पीछे कारण यह था कि इस भारंगी के डंडे को लेकर ब्रह्मण सिर्फ इसी लिए चलता था कि यह उसको अस्थमा जैसी बीमारियों से बचाता था .
- गुरु भारंगी / केले की जड़ विशेष : वृक्ष या पौधा न मिलने पर पंसारी से जड़ खरीदकर पूजा आदि के बाद आस्था व विश्वास के साथ धारण करनी चाहिए।
- गर्भवती को गर्भपात होने कर पीपलामूल , सौंठ, भारंगी और अजवायन 10-10 ग्राम मात्रा में 4 गिलास पानी में डलकर उबालना और 1 गिलास बचे तब छानकर पी लेना चाहिए।
- श्री नादकर्णी मानते हैं कि भारंगी की जड़ का क्वाथ दमा , एक्यूट व क्रानिक ब्रोंकाइटिस तथा फेफड़ों के अन्य श्लेष्म स्रावी रोगों में तुरंत लाभ पहुँचाता है ।