भिलावा का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- भिलावाँ या भिलावा या भल्लातक ( वैज्ञानिक नाम : Semecarpus anacardium ; संस्कृत : अग्निमुख) एक वृक्ष है जो भारत के बाहरी हिमालयी क्षेत्र से लेकर कोरोमंडल तट तक पाया जाता है।
- अर्जुन के फूल , बायविंडग , जलपीपल , मोम , चंदन , राल , खस , कूठ और भिलावा को बराबर मात्रा में लेकर धूनी देने से मच्छर और कीड़े मर जाते हैं।
- इसी के बाद भरुआ सुमेरपुर में जमीन फटने तथा तीन मकानों में अच्छी खासी दरार पड़ने , एक जुलाई को भिलावा मेरापुर में 220 मीटर लम्बी डेढ़ मीटर चैड़ी दो मीटर गहरी भूमि फटने की घटना हुई है , जिससे वहां के निवासियों में दहषत व्याप्त है।
- अर्जुन के फल , भिलावा , लाख , श्रीकस , श्वेत , अपराजिता , बायविंडग और गूगल आदि को बराबर मात्रा में पीसकर रख लें , फिर इसे आग में डालकर धूनी देने से घर में छुपे सांप , चूहे , डांस , घुन , मच्छर और खटमल निकलकर भाग जाते हैं।
- अर्जुन के फल , भिलावा , लाख , श्रीकस , श्वेत , अपराजिता , बायविंडग और गूगल आदि को बराबर मात्रा में पीसकर रख लें , फिर इसे आग में डालकर धूनी देने से घर में छुपे सांप , चूहे , डांस , घुन , मच्छर और खटमल निकलकर भाग जाते हैं।
- भल्लातक । अरुष्कर । भिलावा । इनको एक ही समझना चाहिये । लोध्र । सारवक । धृष्ट । तिरीट । को एक ही समझें । बृहत्फ़ला । महाजम्बु । बालफ़ला । ये एक ही हैं । जलजम्बु । नादेयी । को एक ही समझें । कणा । कृष्णा । उपकुंची । शौण्डी । मागधिका । पिप्पली से कहते हैं ।
- तब बाबा ने भिलावा को पीसकर उसके दो गोले बनाये और उन्हें उसकी आँखों पर रखकर ऊपर से पट्टी बांध दी , फिर अगले दिन पट्टी खोलकर आँखों पर ताजे पानी की छींटे मारे | बाबा की इस अद्भुत चिकित्सा से उसकी सूजन मिट गयी और आँखें भी ठीक हो गयीं | इस तरह से बाबा ने अपनी अनोखी चिकित्सा पद्धति से अनेक रोगियों को स्वस्थ किया |
- इनमें लोहे को गलाकर शुद्ध करने के लिए विचित्र वस्तुओं के साथ मिलाकर भिन्न लोहे को भिन्न-भिन्न विधियों से गलाने का वर्णन है ; यथा : जंबीरों नीबू , लाल एरंड , इमली , जामुन , घुँघची , आँवला , नौसादर , सज्जीक्षार , यवक्षार , खुरक्षार , हींग , पर्पटी , सुपारी , जटामाँसी , विदरीकंद , पाँच प्रकार के तेल , इंगुदी , मजीठ , कौड़ी , मुनक्का से परिपूर्ण तेल , शंख , भिलावा , काकोली , लाल कुलथी , सरसों , अरहर , गेहूँ के कसाय और कांजियाँ आदि-आदि।
- इनमें लोहे को गलाकर शुद्ध करने के लिए विचित्र वस्तुओं के साथ मिलाकर भिन्न लोहे को भिन्न-भिन्न विधियों से गलाने का वर्णन है ; यथा : जंबीरों नीबू , लाल एरंड , इमली , जामुन , घुँघची , आँवला , नौसादर , सज्जीक्षार , यवक्षार , खुरक्षार , हींग , पर्पटी , सुपारी , जटामाँसी , विदरीकंद , पाँच प्रकार के तेल , इंगुदी , मजीठ , कौड़ी , मुनक्का से परिपूर्ण तेल , शंख , भिलावा , काकोली , लाल कुलथी , सरसों , अरहर , गेहूँ के कसाय और कांजियाँ आदि-आदि।
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