मंगरैल का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- इसे हिन्दी में मंगरैल , फारसी में स्याह्दाना , अरबी में- हब्बतुस्सोदा , बंगाली में काली जीर , गुजराती मराठी आदि अनेक भाषाओं में कलौंजी , संस्कृत में स्थूल्जीरक , बहुगंधा , अंग्रेजी में- Black curmin तथा वैज्ञानिक भाषा में Nigella sativa कहते हैं .
- बाटी मे भरने के लिये सामग्री १ कप सत्तु , २ टेबल स्पून लाल मिर्चे के अचार वाला सरसों का तेल २ चुटकी हींग १ टी स्पून अज्वाइन १ टी स्पून मंगरैल १ बडा़ प्याज़ बारीक काटा हुआ १० लहसुन के कोये १ टी स्पून निम्बू का रस नमक स्वाद अनुसार।
- आयुर्वेद के अनुसार इस मसाले में खुरासानी अजवाईन , भांग के बीज , दालचीनी , लौंग , तेजपात, जायफल, जावित्री, अश्वगंधा, मंगरैल, सेंधा नमक, काली मिर्च ,सोंठ, इलायची, अजवाईन,जीरा,कालाजीरा, सौंफ ,मेथी, कालातिल, सरसों, पडी हुई हो तो आप पथरी, सांस की बीमारी ,घुटनों के दर्द और मौसमी बुखारों से बचे रह सकते हैं.
- हल्दी ( करुणानिधि ) , लाल मिर्च ( ममता बेनर्जी ) , जीरा ( कोमनवेल्थ गेम्स कमेटी ) , धनिया ( नीरा राडिया ) , मेथी ( मायावती ) , सौंफ ( मुलायम सिंह ) , अजवायन ( लालू प्रसाद यादव ) , मंगरैल ( जयललिता ) , नमक ( सोनिया गांधी ) बाकी और भी मसाले अपने स्वाद अनुसार आप और डाल सकते हैं .
- हल्दी ( करुणानिधि ) , लाल मिर्च ( ममता बेनर्जी ) , जीरा ( कोमनवेल्थ गेम्स कमेटी ) , धनिया ( नीरा राडिया ) , मेथी ( मायावती ) , सौंफ ( मुलायम सिंह ) , अजवायन ( लालू प्रसाद यादव ) , मंगरैल ( जयललिता ) , नमक ( सोनिया गांधी ) बाकी और भी मसाले अपने स्वाद अनुसार आप और डाल सकते हैं .
- बाहर देरतक आंखें पथरीली टंगी होती हैं , सब जाने किस प्रागैतिहासिकता में रंगा वैसा ही थिर बियाबान बना रहता है, मन के कुएं में पानी पछाड़ें मारती पुरानी काली दीवारों पर बेमतलब निशान छोड़ती हैं, रंगउड़े पुराने झोले में घबराया मैं बीन-बीनकर भरता चलता हूं, तीन रुपये की मंगरैल, पांच की सरसों, इतना लहसुन, उतना पेंसिल, उम्बेर्तो एको के तीन पेज़, पांच कुरर्तुल के , लड़खड़ाया दो बायें, डेढ़ दायें घूमता हूं, अब इसके बाद किधर? जाना है आना है, कहां? बच्ची इस बार कुछ नहीं कहती.
- बाहर देरतक आंखें पथरीली टंगी होती हैं , सब जाने किस प्रागैतिहासिकता में रंगा वैसा ही थिर बियाबान बना रहता है , मन के कुएं में पानी पछाड़ें मारती पुरानी काली दीवारों पर बेमतलब निशान छोड़ती हैं , रंगउड़े पुराने झोले में घबराया मैं बीन-बीनकर भरता चलता हूं , तीन रुपये की मंगरैल , पांच की सरसों , इतना लहसुन , उतना पेंसिल , उम्बेर्तो एको के तीन पेज़ , पांच कुरर्तुल के , लड़खड़ाया दो बायें , डेढ़ दायें घूमता हूं , अब इसके बाद किधर ? जाना है आना है , कहां ?
- भुने चने का सत्तू , अजवायन ,मंगरैल ,भुनी हींग ,कालानमक ,अदरक ,हरा मिर्च ,प्याज़ ,हरी धनिया और नीबू का रस -सब सत्तू में मिक्स कर जब गुथे आटे के बीचों-बीच डाल कर फिर उसे बंद कर ,उपली की धीमी आंच पर पकाते हैं तो फिर उस बाटी के स्वाद का क्या कहना .हम सब तो सप्ताह में एक दिन जरूर इस सह-भोज का आनंद लेतें हैं .आज ही गावं वालों के साथ मंदिर पर शाम को बाटी का कार्यक्रम है .बाटी का असली आनंद तभी है जब देशी घी की तड़का वाली अरहर की दाल हो तथा जानदार चोखा .