मदिरा-पान का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- रामायण के कुछ क्षेत्रीय रूपांतरणों में यह भी दर्शाया गया है कि जिस समय लक्ष्मण ने किष्किन्धा की राजधानी के राजमहल के गर्भागृह में क्रोधित होकर प्रवेष किया था उस समय सुग्रीव के साथ मदिरा-पान करने वाली उसकी प्रथम पत्नी रूमा नहीं अपितु तारा थी और भोग विलास में वह दोनों तल्लीन थे।
- रामायण के कुछ क्षेत्रीय रूपांतरणों में यह भी दर्शाया गया है कि जिस समय लक्ष्मण ने किष्किन्धा की राजधानी के राजमहल के गर्भागृह में क्रोधित होकर प्रवेष किया था उस समय सुग्रीव के साथ मदिरा-पान करने वाली उसकी प्रथम पत्नी रूमा नहीं अपितु तारा थी और भोग विलास में वह दोनों तल्लीन थे।
- लंगोटा नंद ने कहा - श्री बाबा शठाधीश जी महाराज दूसरों को मोक्ष का मार्ग दिखाने से पहले खुद मदिरा-पान से मोक्ष पा लें ! कल्याण हो ! लंगोटा नंद से श्री श्री बाबा शठाधीश जी ने कहा - लंगोटानंद महाराजआप भी संतों को गलत सलाह दे रहे हैं गाछी, बाछी और दासी ।
- ठीक इसके विपरीत राक्षसवंश था - राक्षसवंश- राक्षसवंश समुदाय के लोगों का खान-पान निरामिष था तामसी भोजन करना , मदिरा-पान करना , ताक़त के बल पर किसी भी नारी का अपहरण कर अपना बनाना या उस नारी के साथ बलत्कार करना यह सब इनके आदत में था , समाज के प्रति इनकी सोंच नकारात्मक थी इसलिए इनके समाज में कुरीतियाँ ही कुरीतियाँ थी।
- ठीक इसके विपरीत राक्षसवंश था - राक्षसवंश- राक्षसवंश समुदाय के लोगों का खान-पान निरामिष था तामसी भोजन करना , मदिरा-पान करना , ताक़त के बल पर किसी भी नारी का अपहरण कर अपना बनाना या उस नारी के साथ बलत्कार करना यह सब इनके आदत में था , समाज के प्रति इनकी सोंच नकारात्मक थी इसलिए इनके समाज में कुरीतियाँ ही कुरीतियाँ थी।
- ठीक इसके विपरीत राक्षसवंश था - राक्षसवंश- राक्षसवंश समुदाय के लोगों का खान-पान निरामिष था तामसी भोजन करना , मदिरा-पान करना , ताक़त के बल पर किसी भी नारी का अपहरण कर अपना बनाना या उस नारी के साथ बलत्कार करना यह सब इनके आदत में था , समाज के प्रति इनकी सोंच नकारात्मक थी इसलिए इनके समाज में कुरीतियाँ ही कुरीतियाँ थी।
- ठीक इसके विपरीत राक्षसवंश था - राक्षसवंश- राक्षसवंश समुदाय के लोगों का खान-पान निरामिष था तामसी भोजन करना , मदिरा-पान करना , ताक़त के बल पर किसी भी नारी का अपहरण कर अपना बनाना या उस नारी के साथ बलत्कार करना यह सब इनके आदत में था , समाज के प्रति इनकी सोंच नकारात्मक थी इसलिए इनके समाज में कुरीतियाँ ही कुरीतियाँ थी।
- म दिरा पान दुनिया की सभी संस्कृतियों का हिस्सा रहा है , और भारत का इतिहास इससे अलग नही है , और औरतों का मदिरा-पान अगर हिंदू धर्म के विरोध मे ही है , तो कोई बताये की हिन्दुस्तान के कई मंदिरों मे , देवी की प्रतिमा के पूजन मे “ शराब ” का क्या काम है ? शिव का भांग के साथ क्या सम्बन्ध है ?
- आज हमारे समाज में ऐसे राक्षसों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ने लगी है , आज तामसी भोजन करना , मदिरा-पान करना एक साथ कई कई लड़कियों से प्यार करना , यह सब पहले उच्चवर्गीय समाज का हिस्सा था लेकिन अब यह मध्यमवर्गीय एवं निम्नवर्गीय परिवार का हिस्सा तेजी से बनते जा रहा है और हमारे समाज में इसे इज्जत की नज़र से देखी जा रही है।
- आज हमारे समाज में ऐसे राक्षसों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ने लगी है , आज तामसी भोजन करना , मदिरा-पान करना एक साथ कई कई लड़कियों से प्यार करना , यह सब पहले उच्चवर्गीय समाज का हिस्सा था लेकिन अब यह मध्यमवर्गीय एवं निम्नवर्गीय परिवार का हिस्सा तेजी से बनते जा रहा है और हमारे समाज में इसे इज्जत की नज़र से देखी जा रही है।