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मलयाचल का अर्थ

मलयाचल अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. - सरिता त्रिपाठी पद्यश्री रण+जीत = रणजीत जब वह बातें करते हैं तो मानो मलयाचल की सुख-शीतल सी बयार बहती है और हरि का नाम सुमिरे बिना उनका दिन अधूरा रहता है।
  2. जिस तरह मलयाचल पर्वत की वायु के स्पर्श से कोई भी हरा भरा पेड़ चंदन की खुशबु बिखरने लगता है पर बांस का पेड़ अपने खोखले पन के कारण ऐसा नहीं कर पाता।
  3. गोदावरी , भीमरथी , कृष्णवेणी , सह्य पर्वत से ; कृतमाला और ताम्रपर्णी आदि मलयाचल से , त्रिसामा और आर्यकुल्या आदि महेन्द्रगिरि से तथा ऋषिकुल्या एवंकुमारी आदि नदियां शुक्तिमान पर्वत से निकलीं हैं।
  4. जिस तरह मलयाचल पर्वत की वायु के स्पर्श से कोई भी हरा भरा पेड़ चंदन की खुशबु बिखरने लगता है पर बांस का पेड़ अपने खोखले पन के कारण ऐसा नहीं कर पाता।
  5. कुछ लोगों का मानना है कि जैसे , मलयाचल में चंदन के वृक्ष अपनी सुगंध फैलाते हैं , वैसे ही सोलह कला-संपन्न अवतार से आप यदुवंश की शोभा और आभा बढ़ाने के लिए अवतरित हुए हैं।
  6. कुछ लोगों का मानना है कि जैसे , मलयाचल में चंदन के वृक्ष अपनी सुगंध फैलाते हैं , वैसे ही सोलह कला-संपन्न अवतार से आप यदुवंश की शोभा और आभा बढ़ाने के लिए अवतरित हुए हैं।
  7. क्षणभंगुर जीवन की कलिका , कल प्रात को जाने खिली न खिली मलयाचल की शुचि शीतल मंद , समीर न जानें , बही न बही ! कलि काल कुठार लिए फिरता , तन नम्र से चोट झिली न झिली , भजि ले हरि नाम अरी रसना , फिर अंत समय में हिली न हिली !
  8. इसलिए आज बता कर जाता हूं हर दम्पत्ति के लिए सौ-सौ बीमारियों की एक दवा जैसे मलयाचल पर्वत की हवा दोनों मुमुक्षु अर्थात् प्रा णे श्वरियाँ और प्राणनाथ मिलाकर स्वर में स्वर मिलाकर हाथ में हाथ इस महा मंत्र को सौ-सौ बार पढे़ सौ-सौ बार सूने यह अवश्यंभावी मोक्षप्रदायी महामंत्र केवल तीन शब्दों का है हमदो हमारे दो।
  9. शिव-विवाह , शिव द्वारा अगस्त्य को दक्षिण में जाने की आज्ञा देना , अगस्त्य का दक्षिण की ओर जाना , विन्ध्यवासियों में सद्जीवन की अलख जगाना , विन्ध्याचल होकर उत्तर-दक्षिण वासियों का आवागमन सुलभ बनाना , राक्षसों को पराजित करना और मलयाचल की शोभा का वर्णन करना आदि प्रसंगों की कवि के द्वारा मनोहारी ढँग से इस रचना में प्रस्तुति की गयी है।
  10. भला , िजससे भय भी भय मानता है , उसकी यह दशा ! आपने अजन्मा होकर भी जन्म क्यों िलया है , इसका कारण बतलाते हुए कोई-कोई महापुरुष यों कहते हंै िक जैसे मलयाचल की कीितर् का िवस्तार करने के िलए उसमंे चंदन पर्कट होता , वैसे ही अपने िपर्य भक्त पुण्यश्लोक राजा यदु की कीितर् का िवस्तार करने के िलए ही आपने उनके वंश मंे अवतार गर्हण िकया है।
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