मुण्डकोपनिषद का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- मुण्डकोपनिषद में ‘ ऊँ ' के जप द्वारा आत्मा और ब्रह्म के एकीकरण का उपदेश दिया गया है।
- कठोपनिषद * , मुण्डकोपनिषद * , छान्दोग्य उपनिषद * एवं अन्य उपनिषदों में ब्रह्मचर्य शब्द का प्रयोग हुआ है।
- कठोपनिषद * , मुण्डकोपनिषद * , छान्दोग्य उपनिषद * एवं अन्य उपनिषदों में ब्रह्मचर्य शब्द का प्रयोग हुआ है।
- मुण्डकोपनिषद / मृदुल कीर्ति - कविता कोश - हिन्दी कविताएँ, ग़ज़ल, नज़्म, शायरी, उर्दु शेर, काव्य, अनुवाद, कविता, लोकगीत, कवि,
- कठोपनिषद में ओश्म् `परब्रह्म ' कहा गया है. मुण्डकोपनिषद मेंओश्म् के जपद्वारा आत्मा और ब्रह्म के एकीकरण का उपदेश किया गया है.
- मुण्डकोपनिषद के अनुसार पूर्ण आत्म-ज्ञान जब तथा जिस स्थान पर होगा , उसी स्थान पर , उसी समय मोक्ष समझना चाहिए।
- प्राचीन भारतीय साहित्य के ' मुण्डकोपनिषद' से लिया गया यह आदर्श सूत्र वाक्य आज भी मानव जगत की सीमा निर्धारित करता है।
- प्राचीन भारतीय साहित्य के ' मुण्डकोपनिषद' से लिया गया यह आदर्श सूत्र वाक्य आज भी मानव जगत की सीमा निर्धारित करता है।
- उस ब्रह्मज्ञानी को वह ज्ञान प्राप्त हो जाता है जिससे यह सारा विश्व जाना जाता है मुण्डकोपनिषद - 3 ।
- फलक के नीचे मुण्डकोपनिषद का सूत्र ' सत्यमेव जयते' देवनागरी लिपि में अंकित है, जिसका अर्थ है- 'सत्य की ही विजय होती है'।