मुसका का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- कंटकों ने छेदकर है कर दिया जर्जर सकल तन , किन्तु फिर भी डाल पर मुसका रहा वह फूल प्रतिफल, एक तू है देखकर कुछ शूल ही पथ पर अभी से, है लुटा बैठा हृदय का धैर्य, साहस बल मुसाफिर!
- इन्हें मत रोप देना ये फसल बर्बाद कर देंगे ये हैं वो बीज भीतर से गले या के सड़े हैं जी बताई ज्ञान की बातें समझ में कुछ नहीं आया वे मुसका कर बोले हम तो बस चिकने घड़े हैं जी
- वो मुसका मुस्का कर अपने कम्प्यूटर पर कुछ टाइप कर रही थी और मैं उसकी वो मुस्कान देख कर अचरज में थी कि ये कैसे नए रिश्ते हैं जो सामने बैठे एक मनुष्य को दूसरे से दूर कर देते हैं |
- इस ज्ञान के कारण ही माता कौसल्या प्रभु को अपना पुत्र मानने के लिये तैयार नहीं हो पा रही थीं अतः प्रभु के लिये उन्हें मोहबन्धन बाँधना आवश्यक हो गया और मुसका दियेःउपजा जब ग्याना प्रभु मुसकाना चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै।
- इस ज्ञान के कारण ही माता कौसल्या प्रभु को अपना पुत्र मानने के लिये तैयार नहीं हो पा रही थीं अतः प्रभु के लिये उन्हें मोहबन्धन बाँधना आवश्यक हो गया और मुसका दियेः उपजा जब ग्याना प्रभु मुसकाना चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै।
- पिछले वर्षों भोपाल के एक कथा कार्यक्रम में एक सम्पादक ने पीने के दौरान एक हिन्दी कथा लेखिका के समक्ष एक ऎसा निन्दनीय प्रस्ताव रखा जिसे सुनकर उपस्थित लेखक भौंचक थे , लेकिन पीने में शामिल वह लेखिका मंद मंद मुसका रही थी .
- सामने तथाकथित व्यंग्यकार बैठे थे फिर भी कहा गया कि अक्छे व्यंग्यकारों की कमी है . मंच पर विमोचित हो रही पुस्तक के लेखक भी बैठे थे.वो मंद मंद मुसका रहे थे.अपने दुश्मनों को गाली खाता देख जो शुकुन मन में होता है वैसा हे शुकुन उनके चेहरे पर पसरा था.
- कुछ फूल खिले अरमानों केपर जी भर के मुसका न सके ) -२दिल रो-रो ख़ून हुआ फिर भी -२आँखों में आँसू आ न सकेकुछ फूल खिले अरमानों के( जाने ये बंधन कब छूटेदुख की ज़ंजीरें कब टूटें ) -२देखो क़िसमत की मजबूरी -२वो आ न सके हम जा न सकेदेखो क़िसमत की मजबूरीओमेरा उजड़ा है
- देख सर पर ही गरजते हैं प्रलय के काल-बादल , व्याल बन फुफारता है सृष्टि का हरिताभ अंचल, कंटकों ने छेदकर है कर दिया जर्जर सकल तन, किन्तु फिर भी डाल पर मुसका रहा वह फूल प्रतिफल, एक तू है देखकर कुछ शूल ही पथ पर अभी से, है लुटा बैठा हृदय का धैर्य, साहस बल मुसाफिर!
- गीत - प्रसून जोशी संगीत - शंकर-अहसान-लॉए चलचित्र - फिर मिलेंगे , गायिका -बांबे जयश्रीखो न जाएँ ये..तारे ज़मीं पर.... गीत - प्रसून जोशी संगीत - शंकर-अहसान-लॉए चलचित्र - तारे जमीं पर, गायक - शंकर महादेवन गुनचा कोई मेरे नाम कर दिया.....गीत - रॉकी खन्ना, संगीत - राजेंद्र शिव, चलचित्र - 'मैं मेरी पत्नी और वह', गायक -मोहित चौहान चंदा रे चंदा रे धीरे से मुसका..