×

मुस्तहक का अर्थ

मुस्तहक अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. और जो लोग शैतान की इबादत करने से बचते हैं , अल्लाह की तरफ़ मुतवज्जे होते हैं , वह मुस्तहक खुश ख़बरी सुनाने के हैं , सो आप मेरे इन बन्दों को खुश ख़बरी सुना दीजिए जो इस कलाम को कान लगा कर सुनते हैं , फिर उसकी अच्छी अच्छी बातों पर चलते हैं , यही हैं जिन को अल्लाह ने हिदायत की . और यही हैं जो अहले अक्ल हैं . ”
  2. कोई बचा लो मुझकोमर रहा हूँ मैंएक बार में मरता तो अलग बात थी किस्तों में मर रहा हूँ मैं , पहले ज़मीर मराफिर इंसानियतअब तिल तिल कर मर रही है मेरी - राजनीतिज्ञों की बनिस्बत वह देश की ज़्यादा सेवा करता है - जो कोईअनाज की एक बाली की जगह दो या घास की एक पत्ती की जगह दो उगाता है, ज़्यादा ख़ुशहाली का मुस्तहक हैऔर तमाम राजनीतिज्ञों की समूची जाति की बनिस्बतवह देश की ज़्यादा सेवा करता है ।
  3. कोई बचा लो मुझकोमर रहा हूँ मैंएक बार में मरता तो अलग बात थी किस्तों में मर रहा हूँ मैं , पहले ज़मीर मराफिर इंसानियतअब तिल तिल कर मर रही है मेरी - राजनीतिज्ञों की बनिस्बत वह देश की ज़्यादा सेवा करता है - जो कोईअनाज की एक बाली की जगह दो या घास की एक पत्ती की जगह दो उगाता है , ज़्यादा ख़ुशहाली का मुस्तहक हैऔर तमाम राजनीतिज्ञों की समूची जाति की बनिस्बतवह देश की ज़्यादा सेवा करता है ।
  4. मगर हाँ ! एक तो इस ज़रिए के सबब जो अल्लाह की तरफ़ से है , दूसरे इस ज़रिए से जो आदमी के तरफ़ से है और मुस्तहक हो गए गज़ब इलाही के और जमा दी गई उन पर पस्ती , यह इस वजह से हुवा कि वह लोग मुनकिर हो जाया करते थे एह्काम इलाही के और क़त्ल कर दया करते थे पैगम्बरों को नाहक और यह बे वज्ह हुवा कि इन लोगों ने इताअत न की और दायरे से निकल निकल जाते थे।
  5. हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ि 0 से रिवायत हैं के कबीला बनू जहीनाह की एक औरत नबी सम के पास आई और कहा के मेरी मां ने हज की नज़र मानी थी और हज किये बगैर मर गयी क्या मैं इसकी तरफ़ से हज करुं ? नबी सल्लल लाहो अलैहे वसल्लम ने फ़रमाया - बताओ अगर तुम्हारी मां पर कर्ज़ होता तो क्या तुम अदा करती ? अल्लाह का हक अदा करो , अल्लाह अपने हक की अदायगी का ज़्यादा मुस्तहक हैं | ( मुस्लिम )
  6. वह खुलूसो सदाकत ( नि : स्वार्थता एंव सत्यता ) और कमाले सेहत ( पुर्ण ) सत्य ) की जिस पर हद ( सीमा ) होगी उसी हद पर रहेगी ख़्वाह ( चाहे ) अमल ( कर्म ) किसी माने ( अवरोध ) की वजह से नियत व इरादे की गुंजाइश न भी हो लेकिन दिल में एक वलवला एक तड़प हो तो इनंसान अपने कल्बी कैफ़ीयत की बिना पर अजरो सवाब ( पुण्य एवं पुरस्कार ) का मुस्तहक ठहरेगा और इसी चीज़ की तरफ़ अमीरुल मोमिनीन ने इस ख़ुतबे में इशारे फ़रमाया है।
अधिक:   पिछला  आगे


PC संस्करण
English


Copyright © 2023 WordTech Co.