यज्ञ-स्थल का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- यज्ञ-स्थल पर सती ने अपने पिता दक्ष से शंकर जी को आमंत्रित न करने का कारण पूछा और पिता से उग्र विरोध प्रकट किया।
- पर यज्ञ में भाग लेने वाले ऋषि न तो यज्ञ-स्थल से अन्यत्र कहीं जा सकते हैं और न ही कोई लौकिक काम कर सकते हैं।
- जब सती ने अपने पति के इस अपमान के बारे में सुना तो वे यज्ञ-स्थल पर गईं और हवन कुंड में अपनी बलि दे दी।
- रात्रि में उन्होंने मुनि से पूछा , “ हे महर्षि ! आपके आश्रम के निकट पूर्व में यह किसका यज्ञ-स्थल दिखाइ पड़ रहा है ? ”
- रात्रि में उन्होंने मुनि से पूछा , “हे महर्षि! आपके आश्रम के निकट पूर्व में यह किसका यज्ञ-स्थल दिखाइ पड़ रहा है?”महर्षि बोले, हे सौमित्र! यह यज्ञ-स्थल तुम्हारे कुल
- रात्रि में उन्होंने मुनि से पूछा , “हे महर्षि! आपके आश्रम के निकट पूर्व में यह किसका यज्ञ-स्थल दिखाइ पड़ रहा है?”महर्षि बोले, हे सौमित्र! यह यज्ञ-स्थल तुम्हारे कुल
- रात्रि में उन्होंने मुनि से पूछा , “हे महर्षि! आपके आश्रम के निकट पूर्व में यह किसका यज्ञ-स्थल दिखाइ पड़ रहा है?”महर्षि बोले, हे सौमित्र! यह यज्ञ-स्थल तुम्हारे कुल...
- रात्रि में उन्होंने मुनि से पूछा , “हे महर्षि! आपके आश्रम के निकट पूर्व में यह किसका यज्ञ-स्थल दिखाइ पड़ रहा है?”महर्षि बोले, हे सौमित्र! यह यज्ञ-स्थल तुम्हारे कुल...
- जब देवी सती यज्ञ में पहुँची तो देखा की वहां पर शिव का स्थान ही नहीं है तथा दक्ष द्वारा किए अपने पति के इस अपमान को सह न सकीं और उसी समय यज्ञ-स्थल पर बने हवन कुंड में समा गईं .
- तब दक्ष की पुत्री सती जगदम्बा स्वयं कनखल में हो रहे यज्ञ-स्थल में आई और अपने पिता से बोली , .... ” जो महादेव की निन्दा करता है तथा निन्दा के वचनों को सुनता है , वे दोनों ही तब तक नरक गामी होते है जब तक चन्द्र और सूर्य रहते है ...