यष्टिमधु का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- बबूल व पलाश की गोंद , शतावरी , अश्वगंधा , काली मूसली , सफेद मूसली , यष्टिमधु व तालमखाना के बीज प्रत्येक 20 - 20 ग्राम व मिश्री 160 ग्राम पीसकर चूर्ण बना कर रखें।
- बबूल व पलाश की गोंद , शतावरी , अश्वगंधा , काली मूसली , सफेद मूसली , यष्टिमधु व तालमखाना के बीज प्रत्येक 20 - 20 ग्राम व मिश्री 160 ग्राम पीसकर चूर्ण बना कर रखें।
- बेल के पत्ते , यष्टिमधु की जड़ , मुस्तक , कटुकी प्रकन्द और हरीतकी फल आदि का बराबर मात्रा में मिश्रण बनाकर काढ़ा बनाकर 14 से 28 मिलीलीटर दिन में तीन बार लेने से लाभ होता है।
- बेल के पत्ते , यष्टिमधु की जड़ , मुस्तक , कटुकी प्रकन्द और हरीतकी फल आदि का बराबर मात्रा में मिश्रण बनाकर काढ़ा बनाकर 14 से 28 मिलीलीटर दिन में तीन बार लेने से लाभ होता है।
- २ . मुलहठी ( जेष्ठमध या यष्टिमधु ) का चूर्ण १ ०० ग्राम + गेरू ( जो लाल रंगत लिये मिट्टी के ढ़ेले जैसा होता है और पंसारी के पास से सरलता से सस्ता ही मिल जाता है )
- * हरड़ 25 ग्राम , आँवला 100 ग्राम , यष्टिमधु 100 ग्राम , शतावरी 100 ग्राम , बहेड़ा 50 ग्राम , दालचीनी 10 ग्राम , पीपल 10 ग्राम , सैंधा नमक 10 ग्राम , शकर 300 ग्राम को मिलाकर चूर्ण बना लें।
- * हरड़ 25 ग्राम , आँवला 100 ग्राम , यष्टिमधु 100 ग्राम , शतावरी 100 ग्राम , बहेड़ा 50 ग्राम , दालचीनी 10 ग्राम , पीपल 10 ग्राम , सैंधा नमक 10 ग्राम , शकर 300 ग्राम को मिलाकर चूर्ण बना लें।
- आपके आदेशानुसार वनस्पति आधारित उपचार लिख रहा हूं जो कि अत्यंत प्रभावशाली है- रसायन चूर्ण ( गिलोय , गोखरू तथा आंवले को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण करने से बनता है ) + अश्वगंधा चूर्ण + शतावरी चूर्ण + मुलैठी ( यष्टिमधु अथवा जेष्ठमध भी कहलाती है ) चूर्ण + ब्राह्मी चूर्ण + शखाहुली चूर्ण + त्रिकटु चूर्ण ( सोंठ , काली मिर्च तथा छोटी पीपल को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण करने से बनता है ) ;