योग-निद्रा का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- भगवान विष्णु को चार मास की योग-निद्रा से जगाने के लिए घण्टा , शंख,मृदंग आदि वाद्यों की मांगलिक ध्वनि के बीचये श्लोक पढकर जगाते हैं-
- भगवान विष्णु की योग-निद्रा हमें अपनी अंतस की ऊर्जा को जगाने और कार्य के उपरांत ही निश्चिंत होने का संदेश देती है। हरिशयनी एकादशी ( 1
- किन्तु जब भगवान विष्णु की गर्दन योग-निद्रा की अवस्था में स्वयं के धनुष की प्रत्यंचा से कट कर अलग हो गयी तो देव लोक में हाहाकार मच गया .
- देव प्रबोधिनी एकादशी भगवान विष्णु को चार मास की योग-निद्रा से जगाने के लिए घण्टा , शंख , मृदंग आदि वाद्यों की मांगलिक ध्वनि के बीचये श्लोक पढकर जगाते हैं-
- भगवान विष्णु को चार मास की योग-निद्रा से जगाने के लिए घण्टा , शंख , मृदंग आदि वाद्य यंत्रों की मांगलिक ध्वनि के साथ इस श्लोक का वाचन किया जाता है -
- और यही नहीं ' योग-निद्रा ' ( बिना विचार वाली अवस्था , मृत-प्राय समान ) के स्थान पर पशु जगत में निद्रावस्था , अर्थान अर्ध-मृत अवस्था , में स्वप्न देखते हुए भी हम आनंद के साथ भय की अनुभूति अधिकतर करते हैं ...
- और यही नहीं ' योग-निद्रा ' ( बिना विचार वाली अवस्था , मृत-प्राय समान ) के स्थान पर पशु जगत में निद्रावस्था , अर्थान अर्ध-मृत अवस्था , में स्वप्न देखते हुए भी हम आनंद के साथ भय की अनुभूति अधिकतर करते हैं ...
- भगवान विष्णु की योग-निद्रा तो जनकल्याण के लिए थी , लेकिन यदि हम अपनी जिम्मेदारियों को पूरा नहीं कर रहे हैं , तो वास्तव में हम सो रहे हैं , जबकि जागरण का अर्थ है कि हमें अपनी जिम्मेदारी को सचेत रहकर निभाना है।
- अब सोनिया जी हमेशा ही कोई नयी बात नही कर सकती ( हालांकि इस पर भी शक है कि कर सकती भी हैं कि नही), आडवानी जी हमेशा रथ पर आरूढ़ होकर नही रह सकते, बाजपेयी जी वैसे ही योग-निद्रा मे चले जाते हैं और लालू जी को रेल भी चलानी है।
- से ब्रह्मा की कुर्सी , जो विष्णु की नाभि से उत्पन्न हुई और जिस पर बैठ ब्रह्मा जी विष्णु जी के कान से उत्पन्न राक्षसों को बढ़ते देख देख भयभीत हो 'माया' को पूजते रहे - विष्णु को उनकी योग-निद्रा से जगाने की प्रार्थना करते - और चैन की सांस तभी ले पाए जब विष्णु जी ने दोनों राक्षसों को अपने हाथन में धर लिया, किन्तु तभी जब सही समय आगया महाकाल की कृपा से..:) “हरी अनंत / हरी कथा अनंता”! ...