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रक्तपायी का अर्थ

रक्तपायी अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. ओह कैसी गझिन रक्तश्लथ है हंसी इसकी इस रक्तपायी की जीभ तो दिखती नहीं कभी सारे रक्तचिन्ह चाट गया है यह बस इसकी दाढ़ों में लगा बच रहा है खून।
  2. मुक्तिबोध अगर रक्तपायी वर्ग से बुद्धिजीवियों की नाभिनालबद्धता देख पा रहे थे तो सत्तर और अस्सी के दशक का कवि उसके खिलाफ पूरे दम-ख़म के साथ खड़ा था और सत्ता व्यवस्था को चुनौती दे रहा था .
  3. धर्म की संस्था के खिलाफ खड़े होने या फिर ‘ रक्तपायी वर्ग से इसकी नाभिनालबद्धता ' को रेशा-रेशा साफ़ करने की जिद यहाँ उतनी नहीं दिखती और इसीलिए स्वर बहुत धीमा , उदास और किसी पराजित वक्तव्य सा लगता है .
  4. रक्तपायी शासकवर्ग के हित में जनता की बदहाली , शोषण-दमन आदि के सवाल पर चुप रहने वाले साहित्यिक-कविजन, चिंतक, शिल्पकार आदि के प्रति सख्त आलोचना मुक्तिबोध के साथ-साथ सर्वेश्वर, गोरख, मायकोव्स्की, पाब्लो नेरुदा, आलोक धन्वा की कविताओं पर आधारित पोस्टरों में भी थी।
  5. गद्दाफी को हटाने के लिए वहां की जनता को को ही कुर्बानी देनी पड़ेगी , देनी चाहिए; अमेरिका ब्रिटेन, फ्रांस जैसे महा-महा ..शैतानों रक्तपायी दानवों से मदद ली तो उस देश का और वहां की जनता की क्या हालत होगी , इसे सभी जानते हैं.
  6. रक्तपायी शासकवर्ग के हित में जनता की बदहाली , शोषण-दमन आदि के सवाल पर चुप रहने वाले साहित्यिक-कविजन , चिंतक , शिल्पकार आदि के प्रति सख्त आलोचना मुक्तिबोध के साथ-साथ सर्वेश्वर , गोरख , मायकोव्स्की , पाब्लो नेरुदा , आलोक धन्वा की कविताओं पर आधारित पोस्टरों में भी थी।
  7. यों , यात्राओं, विवाहों आदि की रोमांचक कथाएँ हैं जिनमें अद्भुत कन्याओं और उनके साहसी प्रेमियों, राजाओं तथा नगरों, राजतंत्र एवं षड्यंत्र, जादू और टोने, छल एवं कपट, हत्या और युद्ध, रक्तपायी वेताल, पिशाच, यक्ष और प्रेत, पशुपक्षियों की सच्ची और गढ़ी हुई कहानियाँ एवं भिखमंगे, साधु, पियक्कड़, जुआरी, वेश्या, विट तथा कुट्टनी आदि की विविध कहानियाँ संकलित हैं।
  8. में नरवाहनदत्त के साहसिक कृत्यों , यात्राओं, विवाहों आदि की रोमांचक कथाएँ हैं जिनमें अद्भुत कन्याओं और उनके साहसी प्रेमियों, राजाओं तथा नगरों, राजतंत्र एवं षड्यंत्र, जादू और टोने, छल एवं कपट, हत्या और युद्ध, रक्तपायी वेताल, पिशाच, यक्ष और प्रेत, पशुपक्षियों की सच्ची और गढ़ी हुई कहानियाँ एवं भिखमंगे, साधु, पियक्कड़, जुआरी, वेश्या, विट तथा कुट्टनी आदि की विविध कहानियाँ संकलित हैं।
  9. रक्तपायी मन को बदल दे वर्जन न हो सत्य का अर्चन न हो असत्य का सृजन हो तो सद्भाव का सुन्दरं का विश्व रचे कोई बुद्ध आकर हिंसा की जो चिरनीद्रित निशा है बर्बरता की जो बज्र बधिर दिशा है करुणा के निर्मल नीर नहा जागे और खुल जाए , धुल जाए मन विमल हो जाए महावीर की सम्यक् ज्ञान-गंगा में धुलकर प्रेम के रंग में गाँधी की अहिंसा रंग जाए ईसा कर दे शमित युद्ध के उन्माद को
  10. शेष चतुर्दारिका , मदनमंचुका, रत्नप्रभा, सूर्यप्रभा, अलंकारवती, शक्तियशस्, वेला, शशांकवती, मदिरावती, पंच, महाभिषेक, सुरतमंजरी, पद्मावती तथा विषमशील इत्यादि लंबकों में नरवाहनदत्त के साहसिक कृत्यों, यात्राओं, विवाहों आदि की रोमांचक कथाएँ हैं जिनमें अद्भुत कन्याओं और उनके साहसी प्रेमियों, राजाओं तथा नगरों, राजतंत्र एवं षड्यंत्र, जादू और टोने, छल एवं कपट, हत्या और युद्ध, रक्तपायी वेताल, पिशाच, यक्ष और प्रेत, पशुपक्षियों की सच्ची और गढ़ी हुई कहानियाँ एवं भिखमंगे, साधु, पियक्कड़, जुआरी, वेश्या, विट तथा कुट्टनी आदि की विविध कहानियाँ संकलित हैं।
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