रगण का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- जैसे - ' रगण ' का स्वरूप जानने के लिए ' रा ' को लिया फिर उसके आगे वाले ' ज ' और ' भा ' वर्णों को मिलाया।
- हिंदी में जैसे नगण , सगण , जगण , भगण , रगण , तगण , यगण , मगण होते हैं वहीं सब कुछ उर्दू में भी चलता है ।
- हिंदी में जैसे नगण , सगण , जगण , भगण , रगण , तगण , यगण , मगण होते हैं वहीं सब कुछ उर्दू में भी चलता है ।
- गण 8 प्रकार के होते हैं - यगण ( ।ऽऽ ) , मगण ( ऽऽऽ ) , तगण ( ऽऽ। ) , रगण ( ऽ।ऽ ) , जगण ( ।ऽ। ) , भगण ( ऽ।।
- गण 8 प्रकार के होते हैं - यगण ( ।ऽऽ ) , मगण ( ऽऽऽ ) , तगण ( ऽऽ। ) , रगण ( ऽ।ऽ ) , जगण ( ।ऽ। ) , भगण ( ऽ।।
- हिन्दी साहित्य में ' यमाताराजभानसलगा' यानि यगण (122), मगण (222), तगण (221), रगण (212), जगण (121), भगण (211), नगण (111) और सगण (112) रूप में जो गण हैं वो उर्दू के अरकान से कोई प्रत्यक्ष सम्बन्ध नहीं रखते हैं।
- इसी तरह राजभा से रगण जिसमें दो गुरु के मध्य में लघु वर्ण होता है , जगण का ज़भान यानी एक लघु फिर गुरु फिर लघु , भानस से भगण जिसमें आदि में गुरु पुन : दो लघु आते हैं ।
- ” मदनेश ' जी द्वारा प्रयुक्त आल्हा चौपाई छंद के प्रथम और तृतीय चरण में १ २ - १ २ ममात्रायें , दूसरे और चौथे चरण में १ ३ - १ ३ मात्रायें , चरणान्त में सामान्यतः रगण और जगण नहीं आता , अन्त में।
- यगण मगण तगण रगण जगण भवण नगण सगण हो आठ गण यति गति ज्ञान , तब कहलाए चरण तब कहलाए चरण, तुकान्त रोला मात्रा हो चरण भाव-युक्त व मात्रा पूरी चौबीस हो बुरा फंसा “कविराज” नचायेंगे तुझको गण कुण्डलिया बाद में सिखना पहले मगण-यगण आपका शिष्य गिरिराज जोशी “कविराज”
- कविता , और उसमें भी मुक्तक छंद में , न भगण रगण की योजना , न गुरु लघु की चिंता , न आरोह अवरोह का प्रतिबन्ध और न ही शब्द भेद का आवरण , बस लिखते चलो , कही न कही तो कोई स्वर अपने हम शक्ल से साम्य बना ही लेगा .