रति-क्रीड़ा का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- देह के सारे चक्र खुल जाते हैं , पूरे शरीर में दैविक ऊर्जा का प्रवाह होता है और संभोग शिव और उमा की रति-क्रीड़ा का उत्सव बन जाता है , समाधि बन जाती है।
- मतलब यह है कि एक तरफ बलात्कार का विरोध भी चलता रहा और दूसरी ओर दबंगई के साथ अश्लील विज्ञापनों के जरिए ‘ फोरप्ले ( रति-क्रीड़ा से पहले की क्रिया ) ' की मानसिक स्थिति का निर्माण भी।
- इस तरह आपने देखा कि अलसी के सेवन से कैसे प्रेम और यौवन की रासलीला सजती है , दिव्य सम्भोग का दौर चलता है, देह के सारे चक्र खुल जाते हैं, पूरे शरीर में दैविक ऊर्जा का प्रवाह होता है और सम्भोग एक यांत्रिक क्रीड़ा न रह कर शिव और उमा की रति-क्रीड़ा का उत्सव बन जाता है, समाधि का रूप बन जाता है।
- इस तरह आपने देखा कि अलसी के सेवन से कैसे प्रेम और यौवन की रासलीला सजती है , दिव्य सम्भोग का दौर चलता है, देह के सारे चक्र खुल जाते हैं, पूरे शरीर में दैविक ऊर्जा का प्रवाह होता है और सम्भोग एक यांत्रिक क्रीड़ा न रह कर शिव और उमा की रति-क्रीड़ा का उत्सव बन जाता है, समाधि का रूप बन जाता है।
- इस तरह आपने देखा कि अलसी के सेवन से कैसे प्रेम और यौवन की रासलीला सजती है , दिव्य सम्भोग का दौर चलता है , देह के सारे चक्र खुल जाते हैं , पूरे शरीर में दैविक ऊर्जा का प्रवाह होता है और सम्भोग एक यांत्रिक क्रीड़ा न रह कर शिव और उमा की रति-क्रीड़ा का उत्सव बन जाता है , समाधि का रूप बन जाता है।
- कहा जाता है कि , राजा पाण्डु ने शिकार करते हुए , मैथुन-रत मृग की हत्या की थी , और मरते हुए मृग ने श्राप दिया था , कि जब भी राजा पाण्डु रति-क्रीड़ा करेंगे उनकी मृत्यु अवश्यम्भावी होगी , पाण्डु के शापित हो जाने से , जब उन्हें संतान उत्पन्न करने की रोक हो गई , तब कुंती ने महर्षि दुर्वासा के वरदान के बारे में नरेश पाण्डु को बताया।
- “ वोही जो एक पुरुष एक स्त्री के साथ करता एक प्रेमी अपनी प्रेमिका के साथ करता एक भंवरा किसी कली के साथ करता है , सदियों से चले आ रहे इस जीवन चक्र में नया क्या है जो आप मेरे मुंह से सुनना चाहते हैं … मैं … मैं … रसकूप , प्रेम द्वार , काम-दंड , रति-क्रीड़ा और मधुर मिलन जैसे शब्दों का नाम लेकर तुम्हें कैसे बताऊँ … मुझे क्षमा कर दो मेरे प्रियतम ! मुझे लाज आती है !!! ”
- “ वोही जो एक पुरुष एक स्त्री के साथ करता एक प्रेमी अपनी प्रेमिका के साथ करता एक भंवरा किसी कली के साथ करता है , सदियों से चले आ रहे इस जीवन चक्र में नया क्या है जो आप मेरे मुंह से सुनना चाहते हैं … मैं … मैं … रसकूप , प्रेम द्वार , काम-दंड , रति-क्रीड़ा और मधुर मिलन जैसे शब्दों का नाम लेकर तुम्हें कैसे बताऊँ … मुझे क्षमा कर दो मेरे प्रियतम ! मुझे लाज आती है !!! ”