रेंकना का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- आनंदातिरेक होकर उसने जोर जोर से रेंकना शुरू कर दिया . .... हेंचू हेंचू .... और गाँव के लोगों को सारा माज़रा समझ में आ गया ....
- क्या तुम मुझे अव्वल नंबर का गधा समझती हो ? “ प्रेयसी मिमियाई, ” गधा तो नहीं समझती तुम को, तभी तो कहती हूँ भगवान के लिए रेंकना बन्द करो..
- इसी पृष्ट-भूमि को ध्यान में रखते , एक बार मैंने एक से पूछा था कि कोयल के गान सभी को भाते हैं , किन्तु क्या किसी को गधे का रेंकना भी अच्छा लगता होगा ?!
- अब आप सोचिये जब गदहा घाट के निकट हरी भरी धास चार रहा होता है और धोबी व्यस्त होता है कपडे पटकने में तो उस का रेंकना उस कि आत्मा को शान्ति पहुंचाता होगा , कि वो खोया नहीं है ...
- मिश्रित वर्णसंकर गधे अपनी खुशी के लिये रेंकते हैं और हम बाँसुरी अपनी खुशी के लिये बजाते हैं तो उनकी खुशी के लिये त्याग करना सही नहीं लगता लेकिन यदि आप उनका रेंकना ही सुनना सुनाना चाहती हैं तो ये आपका निर्णय है।
- मिश्रित वर्णसंकर गधे अपनी खुशी के लिये रेंकते हैं और हम बाँसुरी अपनी खुशी के लिये बजाते हैं तो उनकी खुशी के लिये त्याग करना सही नहीं लगता लेकिन यदि आप उनका रेंकना ही सुनना सुनाना चाहती हैं तो ये आपका निर्णय है।
- हाँ ऐसी हरक़तों से वे तथाकथित-स्वयंभू उद्धारक खुद को स्त्रियों-दलितों के मसीहा के रूप में जरुर स्थापित कर लेते हैं | एक तरफ तो बात स्त्री - पुरुष समानता की की जाती है पर तुरंत ही उनका गधों कि तरह रेंकना माफ़ कीजियेगा गरियाना चालू हो जाता हैं . ......
- 10 -मुर्गों की बांग और गधे का रेंकना अबू हुरैरा ने कहा कि रसूल ने कहा है यदि तुम मुर्गे की बांग की आवाज सुनो तो समझो तुमने फ़रिश्ते के दर्शन कर लिए और अगर तुम गधे के रेंकने की आवाज सुनो तो इसका मतलब है तुमने शैतान को देखा है ”
- : ) धोबी के साथ कुत्ते के अतिरिक्त एक और पशु जुड़ा रहता है , और वो है गधा , जो बेचारा घर से घाट तक मैले कपडे , और घाट से घर तक धुले कपडे चुपचाप ढोता है ( अफसर के पीछे फाइलें ढोते बाबू समान ) ,,, : ( न कुत्ते का भोंकना न गदहे का रेंकना किसी अन्य को सुहाता ...
- वाणी का बेतुकापन है हकलाना , बात बात पर “जो है सो” के सदृश तकियाकलाम लगाना, शब्दस्खलन करना (“जल भरो” की जगल “भल जरो” कह देना), अमानवी ध्वनियाँ (मिमियाना, रेंकना, स्वरवैषमय अथवा फटे बँस की सी आवाज, बैठे गले की फुसफुसाहट आदि), शेखी के प्रलाप, गपबाजी (जो अभिव्यंजना की विधा के रूप की न हो), पंडिताऊ भाषा, गँवारू भाषा, अनेक भाषा के शब्दों की खिचड़ी, आदि।