विक्रमी सम्वत् का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- जैसे वामन संवत , परशुराम संवत , ब्रह्म संवत , राम संवत , युधिष्ठिर संवत आदि , किन्तु साल का प्रारम्भ इसी दिन से होता है शालिवाहन सम्वत , शक सम्वत् , विक्रमी सम्वत् तथा युगाब्द आदि प्रचलित है ।
- परम पावन सन्त महात्मा वीर जी महाराज का जन्म राजस्थान के पुरातन तीर्थ विराटनगर में एक ब्राह्मण कुल में आश्विन शुक्ला प्रतिपदा विक्रमी सम्वत् 1966 ( सन् 1909 ) में श्रीमद् स्वामी भूरामल्ल जी एवं श्रीमती वृद्धिदेवी के पुत्र के रूप में हुआ था।
- माघ शुक्ल पंचमी विक्रमी सम्वत् २०६५ ( ३ मार्च २००९) के दिन को देवी सरस्वती को समर्पण के भाव से दीवान कृष्ण किशोर सनातन धर्म आदर्श संस्कृत महाविद्यालय के सभागार में राष्ट्रभाषा विचार मंच द्वारा महाविद्यालयीय विद्यार्थियों के लिए एक काव्य पाठ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।
- वसन्तोत्सव समारोह माघ शुक्ल पंचमी विक्रमी सम्वत् २०६५ ( ३ मार्च २००९) के दिन को देवी सरस्वती को समर्पण के भाव से दीवान कृष्ण किशोर सनातन धर्म आदर्श संस्कृत महाविद्यालय के सभागार में राष्ट्रभाषा विचार मंच द्वारा महाविद्यालयीय विद्यार्थियों के लिए एक काव्य पाठ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।
- वैसी दशा में गुरु जम्भेश्वरजी अपनी सम्पूर्ण सम्पत्ति को परित्याग क़र विक्रमी सम्वत् 1542 में समराथल धोरे पर हरी कंकेड़ी के नीचे आसन लगाया तथा 51 वर्ष तक अमृतमयी शब्द वाणी का कथन किया तथा विभिन्न प्रकार के चमत्कार दिखाकर जड़ बुद्धि लोगों को धर्म मार्ग पर लगाकर उनका उद्धार किया।
- माघ शुक्ल पंचमी विक्रमी सम्वत् २ ० ६ ५ ( ३ मार्च २ ०० ९ ) के दिन को देवी सरस्वती को समर्पण के भाव से दीवान कृष्ण किशोर सनातन धर्म आदर्श संस्कृत महाविद्यालय के सभागार में राष्ट्रभाषा विचार मंच द्वारा महाविद्यालयीय विद्यार्थियों के लिए एक काव्य पाठ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।
- ऊॅं विष्णु भगवान ने सतयुग के भक्त प्रहलाद को दिये वचन को पूरा करने तथा बारह करोड़ जीवों का उद्धार करने के लिए एवं द्वापर युग में कृष्ण भगवान द्वारा नन्द बाबा एवं यशोदा माता को दिये वचनों को पूरा करने के लिए कलयुग में पिता श्री लोहट जी पंवार एवं माता हंसा देवी के घर ग्राम पीपासर में विक्रमी सम्वत् 1508 भादो बदी अष्टमी के दिन अवतार लिया ।
- ऊॅं विष्णु भगवान ने सतयुग के भक्त प्रहलाद को दिये वचन को पूरा करने तथा बारह करोड़ जीवों का उद्धार करने के लिए एवं द्वापर युग में कृष्ण भगवान द्वारा नन्द बाबा एवं यशोदा माता को दिये वचनों को पूरा करने के लिए कलयुग में पिता श्री लोहट जी पंवार एवं माता हंसा देवी के घर ग्राम पीपासर में विक्रमी सम्वत् 1508 भादो बदी अष्टमी के दिन अवतार लिया ।
- सम्वत् 1540 चैत सुदी नवमी को पिता श्री लोहट जी पंवार एवं सम्वत् 1540 भादवा की पूर्णिमा को माता हंसा देवी द्वारा निर्वाण को प्राप्त होने पर संसारिक सुख एंव एश्वर्य के संसाधनों को त्यागकर विक्रमी सम्वत् 1542 में समराथल धोरे पर हरी कंकेड़ी के नीचे आसन लगाया तथा 51 वर्ष तक अमृतमयी शब्द वाणी का कथन किया तथा विभिन्न प्रकार के चमत्कार दिखाकर जड़ बुद्धि लोगों को धर्म मार्ग पर लगाकर उनका उद्धार किया ।
- सम्वत् 1540 चैत सुदी नवमी को पिता श्री लोहट जी पंवार एवं सम्वत् 1540 भादवा की पूर्णिमा को माता हंसा देवी द्वारा निर्वाण को प्राप्त होने पर संसारिक सुख एंव एश्वर्य के संसाधनों को त्यागकर विक्रमी सम्वत् 1542 में समराथल धोरे पर हरी कंकेड़ी के नीचे आसन लगाया तथा 51 वर्ष तक अमृतमयी शब्द वाणी का कथन किया तथा विभिन्न प्रकार के चमत्कार दिखाकर जड़ बुद्धि लोगों को धर्म मार्ग पर लगाकर उनका उद्धार किया ।