विध्यर्थ का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- कार्य विध्यर्थ : ' ( वेद कार्यपरक होता है , सिद्धार्थ-परक नहीं ) प्रभाकर के इस मत के खंडन के लिये ही विधिविवेक की रचना हुई।
- अत : “चोदना लक्षणो धर्म:” सूत्र में लिखा है - “आचार्य चोदित” करोमि“ इस भाष्य की व्याख्या करते हुए शालिकनाथ ने कहा है - चोदित: प्रवर्तित:, कार्यमवबोधित: इत्यर्थ:, कार्यताज्ञान विना प्रवृत्तेरसंभवादिति” (तदभूतादि प्र0 पं0) अतएव प्रभाकर मत में कहा गया है - “कार्य विध्यर्थ:, तच्च कार्य धात्वर्थातिरिक्तम्, अपूर्व शब्द वाच्यम् तदेव विध्यर्थ इति”
- अत : “चोदना लक्षणो धर्म:” सूत्र में लिखा है - “आचार्य चोदित” करोमि“ इस भाष्य की व्याख्या करते हुए शालिकनाथ ने कहा है - चोदित: प्रवर्तित:, कार्यमवबोधित: इत्यर्थ:, कार्यताज्ञान विना प्रवृत्तेरसंभवादिति” (तदभूतादि प्र0 पं0) अतएव प्रभाकर मत में कहा गया है - “कार्य विध्यर्थ:, तच्च कार्य धात्वर्थातिरिक्तम्, अपूर्व शब्द वाच्यम् तदेव विध्यर्थ इति”
- अत : “ चोदना लक्षणो धर्म : ” सूत्र में लिखा है - “ आचार्य चोदित ” करोमि “ इस भाष्य की व्याख्या करते हुए शालिकनाथ ने कहा है - चोदित : प्रवर्तित : , कार्यमवबोधित : इत्यर्थ : , कार्यताज्ञान विना प्रवृत्तेरसंभवादिति ” ( तदभूतादि प्र 0 पं 0 ) अतएव प्रभाकर मत में कहा गया है - “ कार्य विध्यर्थ : , तच्च कार्य धात्वर्थातिरिक्तम् , अपूर्व शब्द वाच्यम् तदेव विध्यर्थ इति ”
- अत : “ चोदना लक्षणो धर्म : ” सूत्र में लिखा है - “ आचार्य चोदित ” करोमि “ इस भाष्य की व्याख्या करते हुए शालिकनाथ ने कहा है - चोदित : प्रवर्तित : , कार्यमवबोधित : इत्यर्थ : , कार्यताज्ञान विना प्रवृत्तेरसंभवादिति ” ( तदभूतादि प्र 0 पं 0 ) अतएव प्रभाकर मत में कहा गया है - “ कार्य विध्यर्थ : , तच्च कार्य धात्वर्थातिरिक्तम् , अपूर्व शब्द वाच्यम् तदेव विध्यर्थ इति ”