शतानन्द का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- शतानन्द जी ने कहा , ” हे राम ! आपका बड़ा सौभाग्य है कि आपको विश्वामित्र जी गुरु के रूप में प्राप्त हुये हैं।
- कथा को आगे बढ़ाते हुये शतानन्द जी ने कहा , ” हे राघव ! विश्वामित्र के शाप से वशिष्ठ जी के पुत्र यमलोक चले गये।
- इस श्लोक सीता के वर के रूप में रावण के प्रस्ताव की विवेचना करते हुए उसके दूत से महाराज जनक के पुरोहित शतानन्द की उक्ति है-
- इस श्लोक सीता के वर के रूप में रावण के प्रस्ताव की विवेचना करते हुए उसके दूत से महाराज जनक के पुरोहित शतानन्द की उक्ति है-
- त्रिशंकु : मिथिला के राजपुरोहित शतानन्द जी ने अपनी वार्ता जारी रखते हुये कहा , ” इस बीच इक्ष्वाकु वंश में त्रिशंकु नाम के एक राजा हुये।
- श्री सत्यनारायण व्रतकथा का पूजन विधि सहित विस्तृत वर्णन जिसमें शतानन्द ब्राह्मण , राजा चन्द्रचूड़ , लकड़हारे , साधु वणिक व उसके जामाता की कथा वर्णित है।
- सेवियों में प्रमुख रूप से- डॉ . ए. के. मिश्रा, संजय राय, उत्तम चन्द, श्याम बिहारी ‘श्यामल', नागेन्द्र राय, हरिद्वार राय, डॉ. संजय राय, शतानन्द उपाध्याय, दयाशंकर तिवारी, गिरीशचन्द मासूम,
- जब राजा जनक को सूचना मिली कि ऋषि विश्वामित्र अपनी शिष्यों तथा अन्य ऋषि-मुनियों के साथ जनकपुरी में पधारे हैं तो उनके दर्शन के लिये वे राजपुरोहित शतानन्द को लेकर यज्ञशाला पहुँचे।
- जब राजा जनक को सूचना मिली कि ऋषि विश्वामित्र अपनी शिष्य मण्डली तथा अन्य ऋषि-मुनियों के साथ जनकपुरी में पधारे हैं तो उनके दर्शनों के लिये वे राजपुरोहित शतानन्द को लेकर यज्ञशाला पहुँचे।
- अपने अग्रज महाराज जनक तथा गुरु शतानन्द जी को प्रणाम करने के पश्चात् वे बोले , ” हे भ्राता ! अयोध्यापति पधार चुके हैं इसलिये अब विवाह सम्बन्धी कार्यों का शुभारम्भ कर देना चाहिये।