शाप देना का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- सेजल ने कुपीत होकर उसे शाप देना चाहा तब वह उसके चरणों में गिर गया तथा बताया कि वह तो उनके पिताजी के आदेश से आया है।
- जानती है , इसका परिणाम क्या होगा ? ' अंदर से आवाज आई _ ' मैं जानती हूँ आप शाप देना चाहते हैं , पर मैं कौवा या बगुला नहीं हूँ .
- तुम्हें शाप देना ही होगा ! तुम अपने को किसान बताते हो , इसलिए एक वर्ष तक तुम्हारे हाथ का जल जिस किसी भी पौधे को छुएगा , वह पौधा मर जाएगा।
- थोड़ी राहत मिली तब ये एक हजार बारात ! इज्जत गई कुएँ में ! कैसे क्या होगा ? सुरसतिया की ईया ( दादी ) ने नाहर को शरापना ( शाप देना ) प्रारम्भ कर दिया।
- वृंदा ने क्रोध से कांपते हुए शाप देना शुरू किया ” ऐ कपटी छलिया विष्णु तुमने दूसरे क़ी पत्नी का सतीत्व हरण किया तुम्हारी भी पत्नी क़ी मर्यादा इसी तरह एक बार नहीं बल्कि लगातार भंग होगी .
- इससे परमेश्वर का नाराज होकर हव्वा को पापी कहना , उसे प्रसव पीड़ा का शाप देना और साँप को जीवन भर रेंगने का शाप देना अविश्वसनीय प्रतीत होते हैं क्यूंकि ईश्वर का कार्य ही मनुष्य को ज्ञान देना हैं और अगर मनुष्य की उत्पत्ति होने के बाद उसे ज्ञान न देकर शाप देना बाइबल के ईश्वरीय पुस्तक होने में संदेह उत्पन्न करता हैं )
- इससे परमेश्वर का नाराज होकर हव्वा को पापी कहना , उसे प्रसव पीड़ा का शाप देना और साँप को जीवन भर रेंगने का शाप देना अविश्वसनीय प्रतीत होते हैं क्यूंकि ईश्वर का कार्य ही मनुष्य को ज्ञान देना हैं और अगर मनुष्य की उत्पत्ति होने के बाद उसे ज्ञान न देकर शाप देना बाइबल के ईश्वरीय पुस्तक होने में संदेह उत्पन्न करता हैं )
- इससे परमेश्वर का नाराज होकर हव्वा को पापी कहना , उसे प्रसव पीड़ा का शाप देना और साँप को जीवन भर रेंगने का शाप देना अविश्वसनीय प्रतीत होते हैं क्यूंकि ईश्वर का कार्य ही मनुष्य को ज्ञान देना हैं और अगर मनुष्य की उत्पत्ति होने के बाद उसे ज्ञान न देकर शाप देना बाइबल के ईश्वरीय पुस्तक होने में संदेह उत्पन्न करता हैं )
- केवल “ प्रार्थना ” ही क्या , हमारी प्रतिदिन की भाषा ऐसे तमाम भाषाई कार्यों को अंजाम देती है-आज्ञा प्रदान करना , रचना करना , प्रतिवेदन करना , अनुमान लगाना , कहानी कहना , अभिनय करना , नारे लगाना , लतीफा गढना , पूछना , धन्यवाद देना , शाप देना , अभिनंदन करना , प्रार्थना करना आदि अनेकानेक ऐसे कार्य है जिन्हें हम भाषा के अंतर्गत ही सम्पन्न कर लेते हैं।
- केवल “ प्रार्थना ” ही क्या , हमारी प्रतिदिन की भाषा ऐसे तमाम भाषाई कार्यों को अंजाम देती है-आज्ञा प्रदान करना , रचना करना , प्रतिवेदन करना , अनुमान लगाना , कहानी कहना , अभिनय करना , नारे लगाना , लतीफा गढना , पूछना , धन्यवाद देना , शाप देना , अभिनंदन करना , प्रार्थना करना आदि अनेकानेक ऐसे कार्य है जिन्हें हम भाषा के अंतर्गत ही सम्पन्न कर लेते हैं।