शिगाफ का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- मेरी कहानी ‘ रक्स की घाटी -शबे फितना ' हंस के अगस्त अंक में आ गई थी . ‘ शिगाफ ' तो है ही ...
- किसने नष्ट किया जमीन पर बसी एक जन्नत को ? कश्मीर को लेकर शिगाफ में यह सवाल पूछने और इससे जुझने का ढंग एकदम अलग है।
- चेहरे की ज़र्दियाँ जहां हरे टूसे में तब्दील होती हैं , वहीँ कुछ ऐसी बारिश भी है जिसने हमारी छतों में शिगाफ डाल दिया है .
- उसके बाद महत्वपूर्ण पड़ाव , हंस में पहली कहानी का छपना , ‘ कठपुतलियाँ ' कहानी का व्यापक तौर पर स्वीकारा जाना , एक युवा कहानीकार के तौर पर पहचान , फिर ‘ शिगाफ ' उपन्यास निसंदे ह.
- हालांकि लोग डराते रहे , कि ‘ शिगाफ ' से बेहतर लिखो तब ही लिखना , मगर मुझे यह बात नहीं जमी , मैं खराब भी लिखती रही तो भी लिखूँगी चाहे अपनी उँगलियों की खुशी के लिए ही सही .
- अपने हालिया उपन्यास शिगाफ , बौनी होती परछाईं , कठपुतलियाँ और ' कुछ भी तो रूमानी नहीं ' जैसे कहानी संग्रहों से एक विशिष्ट पहचान बना चुकी मनीषा जी की ये कवितायें उनसे और अधिक की उम्मीद जगती हैं . )
- कुछ अरसे पहले मनीषा कुलश्रेष्ठ के उपन्यास “ शिगाफ ” पर जिज्ञासा ने गोष्ठी आयोजित करवाई थी और आज की इस गोष्ठी में कुछ उपेक्षाकृत युवा और नए लोगों को इन साहित्यिक पुस्तकों पर चर्चा करने का मौका दिया जा रहा है . .
- मुम्बई से कोई फिल्मकार फोन करके कहता ज्ञान रंजन जी ने कहा था इसे पढ़ने को , कोई कहता राजेन्द्र जी ने कहा ‘ शिगाफ ' पढो , मगर सीधे मुझे किसी वरिष्ठ ने कुछ नहीं कहा , और मैं एकलव्य की तरह अपने एकांत में खुश होती रही .
- ( २६ जुलाई, २००९ /चूरू) मनीषा कुलश्रेष्ठ परिचय जन्म : 26 अगस्त 1967, जोधपुर शिक्षा : बी एस सी, विशारद ( कत्थक) एम. ए. ( हिन्दी साहित्य) एम. फिल. प्रकाशित कृतियां : बौनी होती परछांई ( कहानी संग्रह) मेधा प्रकाशन कठपुतलियां ( कहानी संग्रह) ज्ञानपीठ प्रकाशन कुछ भी तो रूमानी नहीं ( कहानी संग्रह) अंतिका प्रकाशन उपन्यास 'शिगाफ' (राजकमल प्रकाशन) से शीघ्र प्रकाश्य
- रही बात अपनी कथा के माध्यम से किसी सामाजिक राजनैतिक विषम स्थिति के प्रति अपना विरोध स्थूलता के साथ प्रकट करने की , या किसी कथानक के ज़रिए कोई नारा उछालने की मंशा तो मेरी आगे भी नहीं रहेगी , ऎसा करना होता तो अपने भीतर किसी प्रछन्न विचारधारा को आवेग में लाकर ‘ शिगाफ ' में मैंने कश्मीर समस्या का कोई अव्यवहारिक हल पकड़ा दिया होता ! वह सरल होता मेरे लिए , बहुत ही सरल , मेरा मन जानता न कि यह झूठ है , अव्यवहारिक है .