शुंठी का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- आक की जड़ की छाल का आधा ग्राम चूर्ण और आधा ग्राम शुंठी का चूर्ण मिलाकर 3 ग्राम शहद के साथ सेवन करने से कफ युक्त खांसी और श्वास रोग दूर होता है।
- 3 ग्राम अंकोल की जड़ के चूर्ण को 2 ग्राम मीठी बच या शुंठी के चूर्ण के साथ चावल के माण्ड में पकाकर सेवन करने से डेंगू के बुखार में लाभ होता है।
- दाख ( मुनक्का ) और आंवले को समान मात्रा में लेकर , उबालकर पीसकर थोड़ा शुंठी का चूर्ण मिलाकर , शहद के साथ चटाने से बुखारयुक्त मूर्च्छा ( बेहोशी ) दूर हो जाती है।
- -भांग के चूर्ण से दुगुनी मात्रा में शुंठी का चूर्ण और चार गुणी मात्रा में जीरा मिलाकर देने पर कोलाईटीस या बार -बार मल त्याग करने ( आंवयुक्त अतिसार ) में लाभ मिलता है I
- मासिक स्राव में जिन स्त्रियों को 4 - 6 दिन तक भयंकर दर्द हो , उनको सोनापाठा की छाल का लगभग आधा ग्राम चूर्ण इतनी ही शुंठी चूर्ण व इतनी ही मात्रा में गुड़ लेकर तीनों को मिलाकर 3 गोलियां बना लें।
- आक के जड़ की छाल के लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग बारीक चूर्ण में , लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग शुंठी का चूर्ण मिलाकर 3 ग्राम शहद के साथ सेवन करने से कफ युक्त खांसी और श्वास रोग दूर होते हैं।
- मुस्तक की जड़ , शुंठी , कटंकारी की जड़ 14 से 28 मिलीलीटर मात्रा को एक ग्राम के चौथाई भाग से कम की मात्रा में पिप्पली के चूर्ण और 5 ग्राम शहद के साथ दिन में 3 बार लेना चौथे दिन आने वाले बुखार में लाभकारी रहता है।
- मुस्तक की जड़ , शुंठी , कटंकारी की जड़ 14 से 28 मिलीलीटर मात्रा को एक ग्राम के चौथाई भाग से कम की मात्रा में पिप्पली के चूर्ण और 5 ग्राम शहद के साथ दिन में 3 बार लेना चौथे दिन आने वाले बुखार में लाभकारी रहता है।
- लगभग आधा ग्राम वच का चूर्ण और लगभग आधा ग्राम शुंठी का चूर्ण दोनों को शहद में मिलाकर दिन में 2 से 3 बार चाटने से अर्दित रोग ( वह रोग जिसमें रोगी का मुंह टेढ़ा हो जाता हैं ) , यानि मुंह का लकवा खत्म होता है।
- शुंठी , पिप्पली की जड़ , कालीमूसली , करकोटी फल , आरग्वध फल मज्जा , बालक प्रकन्द और हरीतकी फल आदि के मिश्रण का काढ़ा बनाकर 15 से 30 मिलीलीटर की मात्रा में 1 ग्राम यवक्षार के साथ दिन में 3 प्रयोग करने से चौथे दिन आने वाला बुखार दूर हो जाता है।