शुद्ध स्वर्ण का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- वास्तव में पश्चाताप वह अग्नि है , जिसमें तपकर भ्रमित और भूला-भटका मन शुद्ध स्वर्ण बन जाता है .
- और मैं जिस प्रेम की बात कर रहा हूँ उसमें अगर कोई जल जाए तो निखरकर कुंदन बन जाता है , शुद्ध स्वर्ण हो जाता है।
- और मैं जिस प्रेम की बात कर रहा हूँ उसमें अगर कोई जल जाए तो निखरकर कुंदन बन जाता है , शुद्ध स्वर्ण हो जाता है।
- विलयन में अशुद्ध स्वर्ण के धनाग्र और शुद्ध स्वर्ण के ऋणाग्र के बीच विद्युत् प्रवाह करने पर अशुद्ध स्वर्ण विलयित हो ऋणाग्र पर जम जाता है।
- विलयन में अशुद्ध स्वर्ण के धनाग्र और शुद्ध स्वर्ण के ऋणाग्र के बीच विद्युत् प्रवाह करने पर अशुद्ध स्वर्ण विलयित हो ऋणाग्र पर जम जाता है।
- विलयन में अशुद्ध स्वर्ण के धनाग्र और शुद्ध स्वर्ण के ऋणाग्र के बीच विद्युत् प्रवाह करने पर अशुद्ध स्वर्ण विलयित हो ऋणाग्र पर जम जाता है।
- अर्थात् - तेरे प्रेम की पीड़ा का रसायन मेरे मिटटी के शरीर को शुद्ध स्वर्ण बना देता है भले ही यह शरीर रांगे की तरह रहा हो .
- महावीर ने इसे अनुभव किया , ऐसी आग को अनेक बार झेला और तब धरती के कणकण ने इस शुद्ध स्वर्ण को , प्रेम के सागर को , आत्मसात किया।
- भावार्थ : आप संपूर्ण हाव-भाव रूपी श्रृंगारों से परिपूर्ण हैं , आप धीरज रूपी हीरों के हारों से विभूषित हैं , आप शुद्ध स्वर्ण के कलशों के समान अंगो वाली है , आपके पयोंधर स्वर्ण कलशों के समान मनोहर हैं।