शुभग्रह का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- आम तौर पर देखा गया है कि एक शुभग्रह के साथ और शुभ प्रभाव बहुत अच्छा परिणाम देता है।
- कुछ ज्योतिर्वेदो के अनुसार ग्रह वक्री होने पर और अधिक बलवान हो जाता है अर्थात शुभग्रह वक्री होने (
- ज्योतिषाचार्य पवन त्रिपाठी कहते हैं कि दस ग्रहों में से छह पापक ग्रहों के साथ और चार शुभग्रह है .
- लेकिन शुभग्रह या पंचमेश की दृष्टि न हो या पंचम भाव में शुभग्रह स्थित न हो तो सन्तान योग नहीं होता है।
- लेकिन शुभग्रह या पंचमेश की दृष्टि न हो या पंचम भाव में शुभग्रह स्थित न हो तो सन्तान योग नहीं होता है।
- ( जातक पारिजात ) ( छ ) लग्नेश शुभग्रह हो और धन स्थान में स्थित हो या धनेश आठवें स्थान में हो।
- इसके अलावे ज् योतिष में सबसे शुभग्रह के रूप में पूजनीय गुरू बृहस् पति सामान् य लोगों के लिए शुभता ही लाता है।
- 11 -शुभकर्तरी योग- शुभग्रह दूसरे एवं बारहवें स्थित हों तो जातक बहुत धन पाकर प्रसन् नता सहित अनेक तरह के भोग भोगता है।
- कुंडली के सर्वाधिक शुभग्रह का उपाय निरन्तर करना चाहिए , क्योंकि प्रत्येक ग्रह किसी न किसी ग्रह के दोषों को दूर करता है।
- मतान्तर से यह भी उपलब्ध होता है कि चन्द्र-लग्न एवं जन्म-लग्न से 6 , 7, 8 स्थान में यदि शुभग्रह हो तो अधियोग होता है।