संयोगजन्य का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- संयोगजन्य अर्थात् पदार्थों , व्यक्तियों , परिस्थितियोंके सम्बन्धसे पैदा होनेवाला सुख नित्य-निरन्तर कैसे रह सकता है ?
- अगर साधक सर्वथा निर्दोष होना चाहता है तो उसको संयोगजन्य सुखकी कामनाका सर्वथा त्याग करना होगा ।
- अगर आप संयोगजन्य ( सांसारिक ) सुखकी आसक्ति मिटा दें तो अभी परमात्मतत्त्वका अनुभव हो जाय ।
- विचार करनेसे यह बात ठीक समझमें आती है कि यह संयोगजन्य सुखकी लालसा ही परमात्मप्राप्तिमें खास बाधा है ।
- मेरा उद्बोधन एक मित्र की संयोगजन्य टिप्पणी से शुरू हुआ , जिसे एक बैठक के बारे में बताया गया था।
- संयोगजन्य सुखभोगकी जो लालसा है , मनमें जो रुचि है , यही बाधक है ; सुख इतना बाधक नहीं है ।
- ऐसा कोई प्राणी हो ही नहीं सकता , जो संयोगजन्य सुख तो भोगता रहे , पर उसको दुःख न भोगना पड़े ।
- भगवान् के भजन-स्मरण में लीन होने से जब पारमार्थिक सुख मिलने लगेगा , तब संयोगजन्य सुख सुगमतासे , सरलतासे , छूट जायगा ।
- यह स्वयं सुखराशि होकर संयोगजन्य सुख चाहता है , सांसारिक सुखमें राजी होता है - यह बड़े भारी आश्चर्य की बात है ।
- जबतक बाहरके संयोगके सम्बन्धसे सुख लेगा , तबतक इसकों वास्तविक सुख नहीं मिलेगा ‘ बाह्यस्पर्शेव्षसक्तात्मा ' ( गीता ५ / २ १ ) बाह्य सुख ( संयोगजन्य सुख ) में आसक्त नहीं होगा तो ‘