संवर्त का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- क्रचक एवं संवर्त योग जिस दिन तिथि व वार संख्या का योग तेरह हो उस दिन क्रचक कुयोग होता है।
- जिनमें से महर्षि कुत्स , हिरण्यस्तूप, सप्तगु, नृमेध , शंकपूत, प्रियमेध, सिन्धुसित, वीतहव्य, अभीवर्त, अंगिरस, संवर्त तथा हविर्धान आदि मुख्य हैं।
- 2 . संवर्त मेघ वायु युक्त वर्षा चले , दैनिक कार्यो में रूकावट 3 . पुष्कर वर्षा एवं पैदावार में कमी।
- 2 . संवर्त मेघ वायु युक्त वर्षा चले , दैनिक कार्यो में रूकावट 3 . पुष्कर वर्षा एवं पैदावार में कमी।
- रविवार को सप्तमी तिथि और बुदवार को प्रतिपदा तिथि में संवर्त नामक योग बन जाता है , यह योग भी शुभकार्यों मे वर्जित है।
- ‘ संवर्त ' काव्य-कृति मे डा॰ लक्ष्मीसागर वाष्र्णेय ने लिखा है , ” अंधकारमय दुनिया में कवि प्रतिबद्ध है हर व्यक्ति का जीवन समुन्नत करने के लिए।
- धर्मसूत्रों के बाद मनु , याज्ञवल्क्य, नारद, वृहस्पति, कात्यायन, पितामह, यम, हरित, अंगिरस, ऋष्यशृंग, प्रजापति, संवर्त, दक्ष, कर्षणाजिनी, पुलस्त्य, लंगाक्षी, विश्वामित्र की स्मृतियों को विधिग्रंथ माना गया है अत:
- जिसमें आठ जोड़ने पर प्राप्त संखया को नौ से भाग देने पर दो शेष बचता है इस कारण इस वर्ष का मेघ संवर्त है जिसका फल इस प्रकार है।
- जिनमें से महर्षि कुत्स , हिरण्यस्तूप , सप्तगु , नृमेध , शंकपूत , प्रियमेध , सिन्धुसित , वीतहव्य , अभीवर्त , अंगिरस , संवर्त तथा हविर्धान आदि मुख्य हैं।
- जिनमें से महर्षि कुत्स , हिरण्यस्तूप , सप्तगु , नृमेध , शंकपूत , प्रियमेध , सिन्धुसित , वीतहव्य , अभीवर्त , अंगिरस , संवर्त तथा हविर्धान आदि मुख्य हैं।