सतमी का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- उनकी प्रसिद्द कहानियों में सतमी के बच्चे , वोल्गा से गंगा , बहुरंगी मधुपुरी , कनैला की कथा शामिल है ...
- ‘‘ उनकी अनेक कृतियाँ जैसे , सतमी के बच्चे , जोंक , बोल्गा से गंगा , जययौधेय , सिंह सेनापति आदि इस बात के परिचायक हैं कि राहुलजी इतिहास , पुरातत्व , परंपरा , व्यतीत और अतीत को अपनी निजी विवेचना दे रहे थे।
- ‘‘ उनकी अनेक कृतियाँ जैसे , सतमी के बच्चे , जोंक , बोल्गा से गंगा , जययौधेय , सिंह सेनापति आदि इस बात के परिचायक हैं कि राहुलजी इतिहास , पुरातत्व , परंपरा , व्यतीत और अतीत को अपनी निजी विवेचना दे रहे थे।
- ‘ वोल् गा से गंगा तक ' , ‘ सतमी के बच् चे ' , ‘ बहुरंगी मधुपुरी ' , ‘ कनैला की कथा ' जैसी कहानी संग्रह सहित कई विधाओं पर लिखने वाले राहुल सांकृत् यायन के कार्यों और विचारों की आज भी प्रासंगिकता है और प्रत्येक काल खण्ड में यह प्रासंगिकता बनी रहेगी।
- कारण यह कि अतीत के प्रगतिशील प्रयत्नों को सामने लाकर पाठकों के हृदय में आदर्शों के प्रति प्रेरणा पैदा की जा सकती है।‘‘ उनकी अनेक कृतियाँ जैसे , सतमी के बच्चे, जोंक, बोल्गा से गंगा, जययौधेय, सिंह सेनापति आदि इस बात के परिचायक हैं कि राहुलजी इतिहास, पुरातत्व, परंपरा, व्यतीत और अतीत को अपनी निजी विवेचना दे रहे थे।
- कारण यह कि अतीत के प्रगतिशील प्रयत्नों को सामने लाकर पाठकों के हृदय में आदर्शों के प्रति प्रेरणा पैदा की जा सकती है।‘‘ उनकी अनेक कृतियाँ जैसे , सतमी के बच्चे, जोंक, बोल्गा से गंगा, जययौधेय, सिंह सेनापति आदि इस बात के परिचायक हैं कि राहुलजी इतिहास, पुरातत्व, परंपरा, व्यतीत और अतीत को अपनी निजी विवेचना दे रहे थे।
- कारण यह कि अतीत के प्रगतिशील प्रयत्नों को सामने लाकर पाठकों के हृदय में आदर्शों के प्रति प्रेरणा पैदा की जा सकती है।‘‘ उनकी अनेक कृतियाँ जैसे , सतमी के बच्चे, जोंक, बोल्गा से गंगा, जययौधेय, सिंह सेनापति आदि इस बात के परिचायक हैं कि राहुलजी इतिहास, पुरातत्व, परंपरा, व्यतीत और अतीत को अपनी निजी विवेचना दे रहे थे।
- कारण यह कि अतीत के प्रगतिशील प्रयत्नों को सामने लाकर पाठकों के हृदय में आदर्शों के प्रति प्रेरणा पैदा की जा सकती है।‘‘ उनकी अनेक कृतियाँ जैसे , सतमी के बच्चे, जोंक, बोल्गा से गंगा, जययौधेय, सिंह सेनापति आदि इस बात के परिचायक हैं कि राहुलजी इतिहास, पुरातत्व, परंपरा, व्यतीत और अतीत को अपनी निजी विवेचना दे रहे थे।
- उनके रोचक स्मरण इसमें है | “ सतमी के बच्चे “ कहानी संग्रह में पात्रो के जीवन संघर्ष और आर्थिक संघर्ष को चित्रित किया गया है | एक प्रकार से एक छोटे ग्राम्य जीवन के पट पर बुनी गयी ये कहानिया विश्व के विशाल फलक पर चित्रित होने वाली “ वोल्गा से गंगा “ की कहानियों की एक पृष्ठभूमि है |
- आपने ६९ वर्ष तीन महीने की उम्र भोग कर संवत १८३९ विक्रमी मे मार्गशीष सतमी को बुधवार कई दिन परम धाम पहुच गये | संत चरणदास जी की अंतिम यात्रा उनकी जीवन यात्रा से भी अधिक आशचर्य जनक थी | इतनी भीड़ कभी जीवन काल मे उनके चारो और नहीं थी जितनी अंतिम दर्शनों कई लिये मोजूद थी | दिल्ही कई सुलतान शाह आलम दितीय ने भी रास्ते मे सलैल्गढ़ मे आपके दर्शन किये |