समादरणीय का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- मैं आरडीएस कालेज , मुजफ्पफरपुर में अंग्रेजी-आनर्स का छात्र था और एक दिन अपने विभागाध्यक्ष समादरणीय श्री भूपति घोष साहब से संभवतः कीट्स की किसी कविता के मुतल्लिक बातें कर रहा था।
- इस टीका को देखकर मेरे मन में यह दृढ़ धारणा प्रादुर्भूत हुई कि अब उक्त ग्रन्थ इस विशिष्ट टीका का सम्पर्क पाकर समस्त विद्वत्माज तथा जनसाधारण के लिए अत्यन्त समादरणीय और संग्राह्य होगा।
- जो वज्र-भाषा अपने ही प्रान्त में नहीं , अन्य प्रान्तों में भी सम्मानित थी ; पंजाब से बंगाल तक , राजस्थान से मध्य हिन्द तक जिसकी विजय-वैजयन्ती उड़ रही थी , जो प्रज्ञाचक्षु सूरदास की अलौकिक रचना ही से अलंकृत नहीं है , समादरणीय सन्तों और बड़े-बड़े कवियों अथवा महाकवियों की कृतियों से भी मालामाल है।
- जो वज्र-भाषा अपने ही प्रान्त में नहीं , अन्य प्रान्तों में भी सम्मानित थी ; पंजाब से बंगाल तक , राजस्थान से मध्य हिन्द तक जिसकी विजय-वैजयन्ती उड़ रही थी , जो प्रज्ञाचक्षु सूरदास की अलौकिक रचना ही से अलंकृत नहीं है , समादरणीय सन्तों और बड़े-बड़े कवियों अथवा महाकवियों की कृतियों से भी मालामाल है।
- इस पत्र में जहाँ एक ओर हम दोनों के मैत्रीपूर्ण पारिवारिक सम्बंधों की सहज अभिव्यक्ति है , वहीं इस पत्र में जबलपुर में 5 जुलाई , 1984 से टेलिविज़न के कार्यक्रमों के प्रसारण के आरम्भ होने की सूचना है तथा भारतीय राजनीति के चाणक्य तथा हम दोनों के समादरणीय दादा ( पं . द्वारका प्रसाद मिश्र ) का संदर्भ है -
- के जिस धम-निवास स्थान के बीच में , मोती व माणिक्य आदि श्रेश् रत्नों द्वारा एक साल वृक्ष ;या स्तम्भद्ध की रचना की गई है, और उस स्थान के चारों ओर या प्रत्येक दिशा में, बहुमूल्य रत्नों से रचित दिक्पालों के भवन विराजमान हैं, और जगज्जननी पार्वती जी की सेवा में संलग्न जो यक्षानायें व अप्सरायें हैं, उनसे समादरणीय या सेवनीय उद्यानों से जो शिव धम व्याप्त है।
- ‘जिन्होंने चिरपिपासाकुल संसार के संतप्त पथिकों के लिए सुशीतल सुधा-स्रोत-स्विनी पुन्य सरिता - रामभक्ति मन्दाकिनी की धवलधारा बहा दी है , जिन्होंने भक्त-भ्रमरों के अर्थ कृत-वाटिका में भाव-कुञ्ज कलिकाओं से अनुराग मकरंद प्रस्तरित किया, जिन्होंने साहित्य-सेवियों के सम्मुख भगवती भारती की प्रियतम प्रतिभा प्रत्यक्ष करा दी है, उनका भला प्राक्षःस्मरणीय नाम किस अभागे आस्तिक के हृदय-पटल पर अंकित नहीं होगा, जिसका रामचरितमानस भारतीय समाज के मन-मंदिर का इष्टदेव हो रहा है, जिनकी अभूतपूर्व रचना समस्त संसार में समादरणीय स्थान पाती जा रही है, उन रसित कविश्वर लोकललाम गोस्वामी तुलसीदास के नाम से परिचित न होना महान आश्चर्य का विषय है।