समान वायु का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- इसके कार्य भार को देखते हुये सहयोगार्थ समान वायु नियत की गयी , ताकि बिना किसी परेशानी और असुविधा के ही अतिसुगमता पूर्वक सर्वत्र पहुँच जाय।
- मानव शरीर वास्तव में पृथ्वी के समान वायु , अग्नि , पृथ्वी , आकाश , जल , इन पंच तत्वों से बना , प्रकृति की एक रचना है।
- नासिका से हृदय तक प्राण वायु , हृदय से नाभि तक समान वायु, नाभि से पैर तक अपान वायु, गर्दन से सिर तक उदान वायु व संपूर्ण शरीर में फैली है व्यान वायु।
- , पुन : यदि किसी को हिचकी , झटके एवं कम्पवात जैसी समस्या हो एवं समान वायु भी विकृत हो तो , भोजन के पूर्व या भोजन करने के बाद दवा देना चाहिए ...
- फिर समान वायु से प्रेरित उदर की अग्नि ( पाचकाग्नि ) प्रबल होकर उचित समय पर सम मात्रा में खाये गये उस अन्न को आयु आदि की वृद्धि के लिये उचित रूप से पकाती है ।।
- -यदि रोगी में समान वायु के बिगड़ जाने से अग्नि मंद हो गयी हो तो , बुझी हुई अग्नि को प्रज्वलित करने हेतु भोजन करते समय या आधा भोजन कर लेने के बाद औषधि का सेवन करना चाहिए।
- स्पीकर से गुजरने वाले विद्युत धारा विचरण इस प्रकार विविध चुंबकीय बलों में परिवर्तित होते हैं , जो स्पीकर डायफ्राम को गति देते हैं, जो इस तरह से ड्राइवर को, प्रवर्धक से मूल संकेत के समान वायु गति उत्पन्न करने के लिए बाध्य करते हैं.
- स्पीकर से गुजरने वाले विद्युत धारा विचरण इस प्रकार विविध चुंबकीय बलों में परिवर्तित होते हैं , जो स्पीकर डायफ्राम को गति देते हैं, जो इस तरह से ड्राइवर को, प्रवर्धक से मूल संकेत के समान वायु गति उत्पन्न करने के लिए बाध्य करते हैं.
- अपान वायु नीचे की और जाती है , व्यान वायु से संकोच तथा प्रसार होता है , समान वायु से संतुलन बना रहता है और उदान वायु ऊपर की और जाती है और जब मनुष्य प्रबुद्ध हो जाता है तो वह इन सभी वायु को आत्मा-साक्षात्कार की खोज में लगाता है !
- अपान वायु नीचे की और जाती है , व्यान वायु से संकोच तथा प्रसार होता है , समान वायु से संतुलन बना रहता है और उदान वायु ऊपर की और जाती है और जब मनुष्य प्रबुद्ध हो जाता है तो वह इन सभी वायु को आत्मा-साक्षात्कार की खोज में लगाता है !