सरयूपारी का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- सेवक के भतीजे श्रीकृष्ण ने अपने पूर्वजों का जो वर्णन लिखा है , उसके अनुसार ऋषिनाथजी के पूर्वज देवकीनंदन मिश्र गोरखपुर जिले के एक कुलीन सरयूपारी ब्राह्मणा , पयासी के मिश्र थे , और अच्छी कविता करते थे।
- सेवक के भतीजे श्रीकृष्ण ने अपने पूर्वजों का जो वर्णन लिखा है , उसके अनुसार ऋषिनाथजी के पूर्वज देवकीनंदन मिश्र गोरखपुर जिले के एक कुलीन सरयूपारी ब्राह्मणा , पयासी के मिश्र थे , और अच्छी कविता करते थे।
- और ब्रहस्पति _एक सरयूपारी ब्राम्हण हैं जो मेलुहा का प्रधान वैज्ञानिक है जिसके जिम्मे “ सोमरस ” के अलावे और भी कई ऐसे अनुसंधानों का जिम्मा है जिसमे सर्वत्र का हित है , जो शिव से मिलते ही उसका मित्र बन जाता है।
- २ . सरयूपारी शाखा से : - गौतम, कोल्हा (कश्यप), नैनीजोर के तिवारी , पूसारोड (दरभंगा) खीरी से आये पराशर गोत्री पांडे, मुजफ्फरपुर में मथुरापुर के गर्ग गोत्री शुक्ल, गाजीपुर के भारद्वाजी, मचियाओं और खोर के पांडे, म्लाओं के सांकृत गोत्री पांडे, इलाहबाद के वत्स गोत्री गाना मिश्र ,आदि.
- २ . सरयूपारी शाखा से : - गौतम, कोल्हा (कश्यप), नैनीजोर के तिवारी , पूसारोड (दरभंगा) खीरी से आये पराशर गोत्री पांडे, मुजफ्फरपुर में मथुरापुर के गर्ग गोत्री शुक्ल, गाजीपुर के भारद्वाजी, मचियाओं और खोर के पांडे, म्लाओं के सांकृत गोत्री पांडे, इलाहबाद के वत्स गोत्री गाना मिश्र ,आदि.
- सरयूपारी या और किसी वेरायटी के ब्राह्मण के घर पैदा हो जाते , इनमें से अधिकांश श्री गुलशन नंदा की मौसी के लड़के साबित हो जाऐंगे, जिस देश के राष्ट्रपति को नौकरानी के घाघरे पर वीर्यपात करने में शर्म नहीं आए और उसे लोटा ले लेकर जंगल जाने पर टट्टी नहीं उतरती थी जैसे सीधे दैनंदिन जीवन से उठाए हुए बोलचाल की भाषा के तत्काल असर करने वाले प्रयोग स्वयं प्रकाश के यहीं मिलेंगे।
- सरयूपारी या और किसी वेरायटी के ब्राह्मण के घर पैदा हो जाते , इनमें से अधिकांश श्री गुलशन नंदा की मौसी के लड़के साबित हो जाऐंगे , जिस देश के राष्ट्रपति को नौकरानी के घाघरे पर वीर्यपात करने में शर्म नहीं आए और उसे लोटा ले लेकर जंगल जाने पर टट्टी नहीं उतरती थी जैसे सीधे दैनंदिन जीवन से उठाए हुए बोलचाल की भाषा के तत्काल असर करने वाले प्रयोग स्वयं प्रकाश के यहीं मिलेंगे।
- जमशेदपुर , नागपुर , भोपाल जैसे शहरों में छत् तीसगढि़यों की संख् या और प्रभाव का शान से जिक्र करते हैं , लेकिन बाहर से यहां आने वालों के लिए अपने दरवाजे बंद रखना चाहते हैं यहां तक कि ऐसे छत् तीसगढ़ी , जो न जाने कब से यहां रचे-बसे हैं और अपनी जड़ों को भूल चुके हैं , उन् हें भी सरयूपारी , कन् नौजिया ( कई जाति-वर्ग के लिए प्रयुक् त ) वर्गीकृत किया जाता है . '