साँय साँय का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- डाल-डाल झूल रही . .. बेलरिया फूल रही .... पात पात झूम रही .... झूम झूम लूम रही .... प्रीति मन चहक रही .. रात रानी महक रही .... शीतल समीर साँय साँय डोले ..
- हवा मुझे खोज रही है साँय साँय करती हुई मैं बुन रहा हूँ कोई नया इरादा उसे छका देने का महबूबा पता नहीं लगी है किस काम में , ज़िंदगी जाने किस चीज़ का नाम है ?
- साँय साँय करते भुतहे अभिशप्त रेगिस्तान में अब घूमते हैं भूख और वंचना के अंधड़ में जहाँ तहां अपनी धरती से उजड़े हुए आदिम सभ्यता के बीज पुरुष मुछों की रेख उगाने की आपा धापी में मशगूल हजारों हजार दुमका मजदू र . .. कुछ तो सोच खुद पर लट्टू ..
- कौनो घनघोर मजबूरी में घटाटोप भुच्च अनहरिया रात में सुनसान सड़क पर एकदम अकेले कहीं चलल जाय रहे हों , सन्नाटे का साँय साँय कान सुन्न कर रहा हो, झींगुर और टिटही अपना तान राग छेडले स्पेसल इफ्फेक्ट दे रहा हो और ऐसे में अचानक से सामने एक ऐसा जीव परकट हो जाय ,जो न
- कौनो घनघोर मजबूरी में घटाटोप भुच्च अनहरिया रात में सुनसान सड़क पर एकदम अकेले कहीं चलल जाय रहे हों , सन्नाटे का साँय साँय कान सुन्न कर रहा हो, झींगुर और टिटही अपना तान राग छेडले स्पेसल इफ्फेक्ट दे रहा हो और ऐसे में अचानक से सामने एक ऐसा जीव परकट हो जाय ,जो न...
- एक जंगल में प्रवेश कर गया वह , शाम का वक्त , सन्नाटा , हवा की साँय साँय , झींगुरों की किर्र किर्र , बीच बीच में उल्लुओं की आवाज घू ... घू ..... घू ...... घू घू पर हमारा राजकुमार निडर चलता ही चला गया और अचानक सुनाई दी शेर की दहाड़ हा ................ आ. .......................
- बाहर की साँय साँय - हवा की , कहीं टिड्डियों की….जैसे अनस्तित्व मूर्तिमान हो उठा हो, और सिर्फ वह तेल की कुप्पी ही अस्तित्व का चिन्ह हो, मैं भी नहीं, डायरी भी नहीं, सिर्फ वह तेल की कुप्पी…..मेरी उस तेल की कुप्पी का खर्च एक आना रोज का था, रोज शाम को जा कर मोदी की दुकान से भरवा लाता था ।
- कोसों तक जब सिर्फ सन्नाटा गूंजता है तब बजाता है आदमी बांसुरी , अळगोजा मोरचंग , खड़ताल रावणहत्था या सारंगी बहुत अकेला हुआ आदमी तब गाता है रेत राग तीन- जेठ की घाम में धू धू करता है रेगिस्तान साँय साँय करती है लू भांय भांय करता है सन्नाटा फिर भी भेड़ का एक मेमना बचा रहता है भेड़ हो कर भी
- कौनो घनघोर मजबूरी में , घटाटोप भुच्च अनहरिया रात में , सुनसान सड़कवा पर एकदम अकेले , कहीं चलल जाय रहे हों , सन्नाटे का साँय साँय कान सुन्न कर रहा हो , झींगुर और टिटही अपना तान राग छेडले स्पेसल इफ्फेक्ट दे रहा हो और ऐसे में अचानक से सामने एक ऐसा जीव परकट हो जाय , जो न आज तलक कहीं देखे , न सुने ...
- ईन्सान नही हो गया चिङिया हो गया , ऍक बंबु के झाङ से दूसरे पर साँय साँय ! पटा पट ऍक सीन में चार हलाल ! फिलम में ऍक झन्नाट टाईप का आइटम नम्बर भी है | वैसे टाटा यन्ग आदि चिन्की टाईप पर मेरा दिल पेले से ही फिदा हे पर यह आइटम नम्बर वाली तो सीने पर उङते चक्कू चला गई | बाकी आप लोग फिलम देखो और मुझे दुआ दो |