साअत का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- इस लिये कि तुम ने अपने ख़याल ( विचार ) में उस साअत ( साइत ) का पता दिया कि जो उस के लिये फ़ायदे का सबब ( कारण ) और नुक्सान ( हानि ) से बचाव का ज़रीआ ( साधन ) बनी।
- क़दमों को माँ के इश्क़ ने सर पे उठा लिया साअत सईद दोश पे फ़िरदौस आ गई … ईश्वर ने जब कायनात की तामीर कर इंसान को ज़मीं पर बसाने का तसव्वुर किया होगा…यक़ीनन उस वक़्त माँ का अक्स भी उसके ज़हन में उभर आया होगा…
- क्या तुम्हारी ख़्वाहिष यह है के तुम्हारे अफ़आल के मुताबिक़ अमल करने वाला परवरदिगार के बजाए तुम्हारी ही तारीफ़ करे इसलिये के तुमने अपने ख़याल में उसे उस साअत का पता बता दिया है जिसमें मनफ़अत हासिल की जाती है और नुक़सानात से महफ़ूज़ रहा जाता है।
- वह मुद्दते हयात ( जीवन काल ) जिसे हर गुज़रने वाला लहज़ा ( क्षण ) कम कर रहा हो और हर साअत ( पल ) उसकी इमारत ( भवन ) को ढाह ( गिरा ) रही हो , कम ही समझी जाने के लाइक़ ( योग्य ) है।
- जिनके बारे में किसी को मालूम नहीं है के वह दुनिया के साल थे या आख़ेरत के मगर एक साअत के तकब्बुर ने सबको मलियामेट कर दिया तो अब इस ( इबलीस ) के बाद कौन रह जाता है जो ऐसी मासियत के अज़ाबे इलाही से महफ़ूज़ रह सकता है।
- ( 1 ) जैसा कि बनी इस्त्राईल ने सुबह को एक साअत के अन्दर तैंतालीस नबियों को क़त्ल किया फिर जब उनमें से एक सौ बारह आबिदों यानी नेक परहेज़गार लोगो ने उठकर उन्हें नेकियों का हुक्म दिया और गुनाहों से रोका , उसी शाम उन्हें भी क़त्ल कर दिया .
- 389 - मोमिन की ज़िन्दगी के तीन औक़ात होते हैं- एक साअत में वह अपने रब से राज़ व नियाज़ करता है और दूसरे वक़्त में अपने मआश की इस्लाह करता है और तीसरे वक़्त में अपने नफ़्स को उन लज़्ज़तों के लिये आज़ाद छोड़ देता है जो हलाल और पाकीज़ा हैं।
- अब तुमसे मुतालेबा यह है के अपने नफ़्स की मुख़ालफ़त करना और अपने दीन की हिफ़ाज़त करना चाहे तुम्हारे लिये दुनिया में सिर्फ़ एक ही साअत बाक़ी रह जाए और किसी मख़लूक़ को ख़ुश करके ख़ालिक़ को नाराज़ न करना के ख़ुदा हर एक के बदले काम आ सकता है लेकिन इसके बदले कोई काम नहीं आ सकता है।
- 5 -जनाब शैख़ सिद्दीक़ हसन ख़ान क़नदूजी ने अपनी किताब “ अलइज़ाअहू लेमा काना वमा यकूना बैना यदेइस साअत ” में लिख़ा हैः इमाम मेहदी ( अ. ) के बारे में मुख़तालिफ़ अंदाज़ से इतनी कसरत से रिवायतें नक़्ल होई हैं जो वाक़ेअन तवातिरे मानवी की हद तक हैं जिस में कोई शक नही कि इमामे मेहदी ( अ. )
- क़दमों को माँ के इश्क़ ने सर पे उठा लिया साअत सईद दोश पे फ़िरदौस आ गई … ईश्वर ने जब कायनात की तामीर कर इंसान को ज़मीं पर बसाने का तसव्वुर किया होगा … यक़ीनन उस वक़्त माँ का अक्स भी उसके ज़हन में उभर आया होगा … जिस तरह सूरज से यह कायनात रौशन है … ठीक उसी [ ... ]