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स्वर्ण-जयंती का अर्थ

स्वर्ण-जयंती अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. घाव जिन्होंने भारत माता को गहरे दे रक्खे हैं उन लोगों को जैड सुरक्षा के पहरे दे रक्खे हैं जो भारत को बरबादी की हद तक लाने वाले हैं वे ही स्वर्ण-जयंती का पैगाम सुनाने वाले हैं
  2. [ ५ ] साल १ ९ ८ १ में जब ‘ सवाक फ़िल्म स्वर्ण-जयंती ' मनाया गया , तब बड़े दुख के साथ आयोजकों को बताना पड़ा कि ‘ आलम-आरा ' का कोई भी प्रिण्ट उपलब्ध नहीं है।
  3. प्रदेश के नामी चाय विक्रेताओं में से एक माहेश्वरी चाय ने अपनी सफलता के 50 वर्ष पूरे किए है , इस अवसर पर आयोजित स्वर्ण-जयंती बम्पर ड्रा योजना में भी ग्राहकों को लाखों रुपए के पुरस्कार वितरित किए जायेंगे।
  4. प्रकासन टालते हुए इस बार श्री अमीन सायानी साहब द्वारा विविध भारती पर प्रस्तूत स्वर्ण-जयंती विषेष प्रसारण का हिस्सा बनी हुई श्रृँहला का एक अंश यहाँ प्रस्तूत किया है , जिसमॆं श्री अमीन सायानी साहब श्री गोपाल शर्माजी के लिये क्या कहते है और साथमें गोपाल शर्माजी की रेडियो प्रस्तूती सुनिये
  5. मन तो मेरा भी करता है झूमूँ , नाचूँ , गाऊँ मैं आजादी की स्वर्ण-जयंती वाले गीत सुनाऊँ मैं लेकिन सरगम वाला वातावरण कहाँ से लाऊँ मैं मेघ-मल्हारों वाला अन्तयकरण कहाँ से लाऊँ मैं मैं दामन में दर्द तुम्हारे , अपने लेकर बैठा हूँ आजादी के टूटे-फूटे सपने लेकर बैठा हूँ
  6. स्वर्ण-जयंती रथ लेकर जो साठ दिनों तक घूमे थे आजादी की यादों के पत्थर पूजे थे , चूमे थे इस घटना पर चुप बैठे थे सब के मुहँ पर ताले थे तब गठबंधन तोड़ा होता जो वे हिम्मत वाले थे सच्चाई के संकल्पों की कलम सदा ही बोलेगी समय-तुला तो वर्तमान के अपराधों को तोलेगी
  7. तो इसका पुन : प्रकासन टालते हुए इस बार श्री अमीन सायानी साहब द्वारा विविध भारती पर प्रस्तूत स्वर्ण-जयंती विषेष प्रसारण का हिस्सा बनी हुई श्रृँहला का एक अंश यहाँ प्रस्तूत किया है , जिसमॆं श्री अमीन सायानी साहब श्री गोपाल शर्माजी के लिये क्या कहते है और साथमें गोपाल शर्माजी की रेडियो प्रस्तूती सुनिये ।
  8. यह मैं इसलिए कह सकता हूं कि जून , 1994 में जब हमने आजकल का स्वर्ण-जयंती अंक निकाला, जो कि विगत आधी सदी में आजकल में प्रकाशित सामग्री का चयन था, तो उसके एक-एक अंक को खंगाला था और शायद ही कोई ऐसा बड़ा नाम हो जो पिछले पांच दशकों में आजकल में छपा हो वह स्वर्ण-जयंती अंक में न शामिल किया गया हो।
  9. यह मैं इसलिए कह सकता हूं कि जून , 1994 में जब हमने आजकल का स्वर्ण-जयंती अंक निकाला, जो कि विगत आधी सदी में आजकल में प्रकाशित सामग्री का चयन था, तो उसके एक-एक अंक को खंगाला था और शायद ही कोई ऐसा बड़ा नाम हो जो पिछले पांच दशकों में आजकल में छपा हो वह स्वर्ण-जयंती अंक में न शामिल किया गया हो।
  10. विविध भारती के स्वर्ण-जयंती वर्ष के उपलक्षमें राष्ट्रीय नेटवर्कमें विविध भारती केन्द्रीय सेवासे प्रायोजित कार्यक्रमों की झलकीयां को प्रस्तूत करते हुए श्री अमीन सायानी साहबने श्री हरीशभाईके बारेमें बोलते हुए जो कुछ बताया था वह और साथमें हरीशजी की आवाझमें इंग्रेजी , हिन्दी और गुजराती तीनो भाषामें प्रस्तूती को और साथमें उनकी पत्नीजी श्रीमती रेखा भीमाणीजी की आवाझमें मराठी भाषामें प्रस्तूती के अंश भी सुनाई देगे ।
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