अँगनाई का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- वे दिवस सुनहले कितने अलसाए तरुणाई के दबे पाँव तुम आ जाती चुपके से अँगनाई में
- अँगनाई में खड़े हुए , बेरों के पेड़ से,वो लोग चलते वक्त गले मिल के रोये थे।
- सिर पर बाँधे ताज आशाओं के अंकुर फूटे चहकी अँगनाई धूप गुनगुनी घर-द्वारे औ बालकनी आई कड़क . ..
- सिर पर बाँधे ताज आशाओं के अंकुर फूटे चहकी अँगनाई धूप गुनगुनी घर-द्वारे औ बालकनी आई कड़क चाय
- अँगनाई से कंगूरों तक , जहां तुम्हारा परस हुआ है हर उस कोने से उठती है गंध , रूपिणी अभी तुम्हारी
- इस संवेदनहीन समय में- शहर गाँव घर भीतर बाहर सब है उनके घेरे में , पहुँच चुके हैं साँपों के फन देहरी तक अँगनाई तक।
- अपनी पीड़ा कहें , यह चलन भी नहीं तुमसे मिलने का कोई जतन भी नहीं कैसी अलसाई बैठी हूँ अँगनाई में, तुम नहीं तो सँवरने का मन भी नहीं!
- सुरभि पंथ में रँगे अल्पना , मूरत हो हर एक कल्पना, मौसम देता रहे बधाई, पुष्पित रहे सदा अँगनाई, फलीभूत हो निमिष निमिष पर, ऐसा कथन तुम्हें देता हूँ।
- रंग धनक के सँवरें निशिदिन अँगनाई में आकर हो साकार कामना , तुलसी चौरे ज्योति जगाये पुरबाई नित करे आरती, मंगल गाय पछुआ आशीषों के फूल आपके सर पर विधि बरसाये
- सुविधाओं की अँगनाई में मन कितने ऊबे-ऊबे हैं तरुणाई के ज्वालामुख , लावे बीच हलक तक डूबे हैं यह समय आग का दरिया है हम उसके माँझी कहलाए दुःख नए तरीके से आए।