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अंकोल का अर्थ

अंकोल अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. 3 ग्राम अंकोल की जड़ के चूर्ण को 2 ग्राम मीठी बच या शुंठी के चूर्ण के साथ चावल के माण्ड में पकाकर सेवन करने से डेंगू के बुखार में लाभ होता है।
  2. लगभग एक ग्राम से कम की मात्रा में अंकोल की जड़ की छाल को घोड़बच या सोंठ के साथ चावल के माण्ड में उबालकर रोजाना सेवन करने से डेंगू ज्वर में लाभ मिलता है।
  3. विगत कई वरशो से आयुर्वेद का एक कल्प लोगो के बीच उलझी हुयी पहेली बना है और जिसे सुलझाने के चक्कर में न जाने कितने लोग ख़ुद ही उलझ गए . और वो कल्प है अंकोल कल्प
  4. सरगुजा से आये इस पारम्परिक चिकित्सक ने जो तेल मुझे दिया उसमे कुसुम के तेल की गन्ध भी थी जबकि मैदानी क्षेत्रो के पारम्परिक चिकित्सक जब अंकोल का तेल देते है तो उसमे तिल के तेल की गन्ध भी होती है।
  5. शिवाम्बु द्वारा धातु वेधन की क्रिया पर जब हम बात कर रहे थे तो उस दौरान हमने बताया था की कुछ विशेष कल्पों के सेवन से शारीरिक पारद वेधक गुणों से युक्त हो जाता है उन्ही कल्पों में से यह सिद्ध अंकोल कल्प भी एक है।
  6. अशोक , मौलश्री , पारिजात , सदा सुहागन , अगरु , अंकोल , अर्जुन , आरग्वध , आमलकी , कुटज , कचनार , गंभारी , गुग्गुल , देवदारु , वरुण , विभीतक , थिगारू , कदलीफल ( केला ) , श्रीफल ( नारियल ) , जासौंन , पान अदि को घरों में लगाने की वास्तु-शास्त्रीय परंपरा पूर्णतः वैज्ञानिक है।
  7. अशोक , मौलश्री , पारिजात , सदा सुहागन , अगरु , अंकोल , अर्जुन , आरग्वध , आमलकी , कुटज , कचनार , गंभारी , गुग्गुल , देवदारु , वरुण , विभीतक , थिगारू , कदलीफल ( केला ) , श्रीफल ( नारियल ) , जासौंन , पान अदि को घरों में लगाने की वास्तु-शास्त्रीय परंपरा पूर्णतः वैज्ञानिक है।
  8. इस तेल को प्राप्त करने की विधि जो की अनुभूत है कुछ इस प्रकार है . सबसे पहले तो जहा अंकोल का वृक्ष हो वह जाए और यह देख लें की उस पर फल आ गए हैं दूसरे दिन वह जाकर उस वृक्ष के नीचे शिवलिंग की स्थापना करें और उस शिवलिंग के सामने एक घाट(मटका) की स्थपना करें और अघोर मन्त्र का जप करते हुए एक धागे से उस शिवलिंग,घाट और वृक्ष को बाँध दे और प्रतिदिन अघोर मंत्र की ११ माला करें।
  9. अभिभूत ही हो गया था मैं उस अद्भुत दृश्य को देखकर , मुझे कभी सदगुरुदेव ने बताया था की कायाकल्प के रहस्यों की तलाश में सिर्फ एक रस् शास्त्री ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक भी लगे हुए हैं, और ये सत्य ही है की हमारे समृद्ध आयुर्वेद में ही इस विद्या का रहस्य छुपा हुआ है , चाहे निर्गुण्डी कल्प की बात हो, अंकोल कल्प की बात हो, या फिर सिद्ध श्रीमोदक , इन सबके मूल में ही पारद कही न कही दृश्य या अदृश्य रूप में विराजमान है .
  10. फिर उस तेल पर अघोर मंत्र की ११ माला जप करे और इच्छा अनुसार प्रयोग करें . एक बात और सिर्फ़ तेल से कुछ नही होता यदि १ भाग अंकोल तेल में २ भाग तिल का तेल और सिद्ध पारद भस्म न मिली हो तो वो मरीत्संजिवी नही होता है हाँ अन्य कार्यों में प्रयोग किया जा सकता है.अंकोल तेल में दो भाग तिल का तेल मिला कर नाशय लेने से जरा मृत्यु का नाश होता है .३०० वर्ष की आयु होती है और किसी भी विष का कोई पराभव पूरे जीवन भर नही होता है.
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